Travelogue by Rauthan Rakhi
दयारा यात्रा वृत्तांत कैसे पहुंचे, जानें पूरी जानकारी।
यमुनोत्री यात्रा पूरी करने के बाद जब मैं गंगोत्री दर्शन के लिए जा रही थी तो उस दिन मुझे भटवाड़ी में रूकना था । मैं सुबह 8ः30 बजे भटवाड़ी पहुंची तो मन में ख्याल आया कि दिन भर होटल के कमरे में पड़े पड़े क्या करूंगी? क्यों न यहां के आस-पास के किसी अच्छी सी जगह पर चली जाऊ, भटवाडी में स्थानीय लोगों से पूछा कि यहां पर पास और सबसे अच्छी लोकेशन कौन सी है जिसमें थोड़ा बहुत ट्रैकिंग भी हो तो स्थानीय लोगों द्वारा दयारा बुग्याल सजेस्ट किया गया तो फिर क्या था भटवाड़ी से निकल पड़े हम बारसू के लिए।
भटवाड़ी से लगभग 10 किमी0 की दूरी पर बारसू गांव स्थित है यहीं से दयारा बुग्याल का ट्रैक शुरू होता है। बारसू एक खूबसूरत सा गांव है जहां पर पर्यटकों के लिए रूकने के लिए होम स्टे, होटल तथा गढ़वाल मंडल विकास निगम का रेस्ट हाउस भी है। भटवाड़ी से बारसू लगभग सुबह 9ः45 पर पहुंचने के बाद हमने एक गाइड हायर किया जो वहीं का स्थानीय युवक था, लगभग 10ः00 बजे हमने ट्रैकिंग करना शुरू किया। ट्रैकिंग में हम 04 लोग थे गाइड को मिलाकर परन्तु हम चार लोगों के अलावा मुझे एक बेस्ट फैलो ट्रैवलर मिला जिसका नाम था मिकी (गाइड का पालतू कुत्ता) जिसने पूरी ट्रैकिंग को मजेदार बनाया।
दयारा बुग्याल बारसू गांव से लगभग 7-8 कि0मी0 की खड़ी चढ़ाई पर है बारसू से हमने अपनी ट्रैकिंग शुरू की चढ़ाई अधिक होने के कारण गाइड ने हमें छड़ियां उपलब्ध करायी। ट्रैकिंग करते हुए मानों प्रकृति की सुन्दरता हमें अपनी ओर आकर्षित कर रही हो लम्बे-लम्बे देवदारा के वृक्षों के बीच बुरांश के फूल मानों प्रकृति का श्रृंगार कर रहे हों। प्रकृति के ये नजारे दिल और दिमाग दोनांे को बांधने वाले थे। अभी कुछ ही दूर चले थे कि इन्द्र देव भी छमाछम बारिश से हमारा स्वागत कर दिया उस घने जंगल मे बारिश की बूंदें अलग ही ध्वनि कर रही थी । बारिश के चलते हमने एक जगह पर थोड़ा सा रूकना मुनासिब समझा और प्रकृति को निहारते रहे। सेल्फी के इस दौर में फिर भला हम कहां रूकने वाले थे प्रकृति की खूबसूरती दिल दिमाग में तो पहले ही कैद कर चुके थे पर फोन में कैद करने से कब तक रूकते। फोटोज लेते वक्त जेहन में एक ही बात आ रही थी काश एसएलआर होता तो शायद प्रकृति को अच्छे से कैद कर पाते। खैर छोडिये भौतिक सुख जो कभी खत्म नहीं होने वाला फिर जैसे फोन थे उन्हीं से हमने फोटोशूट करना शुरू कर दिया।
दयारा से पहले हमें एक खूबसूरत बुग्याल का दीदार करने को मिला जिसका नाम था बरनाला बुग्याल इसे देखते ही सारी थकावट मिट गयी। बरनाला से थोड़ा ऊपर चढ़ने पर खूबसूरत ताल नागताल देखते ही ऐसा प्रतीत हुआ जैसे प्रकृति ने अपने श्रृंगार के लिए एक छोटा दर्पण निर्मित किया हो। नागताल के बगल में ही नाग देवता का मंदिर है इस स्थान पर हमने थोड़ा सा विश्राम किया बैग में जो भी खाने पीने का सामान था इस जगह पर हमने सब खत्म कर दिया। नागताल के पास हमें गुज्जर देखने को मिले जो गर्मियों में अपने भैंसों को लेकर बुग्यालों में प्रवास करते हैं, जिनसे हमने चाय के लिए दूध मांगा पर वहां से हमें निराशा ही हाथ लगी। थोड़ा विश्राम करने के बाद हमनें फिर से अपनी ट्रैकिंग शुरू की चढ़ाई चढते चढ़ते पैरों ने जबाव देना शुरू कर दिया था फिर मैंने भी गाइड को परेशान करना शुरू कर दिया कि भाई अभी कितना और चलना है दयारा के दीदार के लिए वो मुझे झूठी दिलाशा देता रहा, बस अब थोड़ी ओर दूर।
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अन्ततः हम अपने गंतव्य पर पहुँच गये ये बड़े बड़े बुग्याल देखकर पैरों ने उन बुग्यालों पर चलने की ही नहीं बल्कि दौड़ने की इजाजत मांगी प्रकृति के ये रूप मैंने अपने जीवन में पहली बार देखा, इसे महसूस किया। दयारा बुग्याल देखते ही सारी थकान मिट गई जो सांस लेने में दिक्कत हो रही थी दयारा को देखते ही सांसे खुद व खुद आने लगी।
दयारा पहुंचते ही बारिश ने फिर से हमारा स्वागत शुरू कर दिया अब बारिश इतनी तेज हुई कि हमें लगा हम शायद ही दयारा का दीदार कर पायें। गाइड ने हमसे छानी (कम समय के लिए रूकने के लिए बने घर) में रूकने को कहा छानी में एक व्यक्ति से हमने मैगी बनाने का ऑर्डर दिया अचानक ही बारिश बंद हो चुकी थी उसने हमें हिदायत दी कि जब तक मैगी बनती है आप दयारा का दीदार करने कर आओ फिर हम चल पड़े दयारा का दीदार करने, मानों सुंदर बुग्याल हमें अपनी ओर आकर्षित कर रहे हों इतनी शांति इतना सुकून और कहां? दयारा बुग्यााल से द्रोपदी का डांडा, गिडारा बुग्याल, बंदरपूंछ, काला नाग पर्वत, श्रीकंठ पर्वत सहित अनेक चोटी का दीदार हमें गाइड ने करवाया।
दयारा का दीदार करने के बाद हम छानी में गए जहां पर स्थानीय लोगों द्वारा बनायी मैगी का लुफ्त उठाया। अब हमं वहीं 3ः15 बज चुका था फिर से बारिश होने लगी थी हमें अब वहां से जल्दी निकलना था क्योंकि हमारे ड्राइवर बारसू में हमारा इंतजार कर रहे थे जिन्होंने 4ः30 बजे तक बारसू पहुंचने को कहा था। अब हम दयारे से नीचे लौट आये। बारसू पहुंचने में हमें 2 घण्टे से भी कम का समय लगा ये अपने आप में एक चमत्कार था। इस तरह से हमने अपनी दयारा ट्रैकिंग की ।
अगर आप भी दयारा जाना चाहते हैं तो जाने पूरी डिटेलः-
कहां ठहरे और कैसे जाएं
उत्तरकाशी से भटवाड़ी होते हुए 40 कि0मी0 दूर बारसू गांव, रैथल गावं व नटीण गावं से दयारा जाने के रास्ते हैं मजे की बात ये है कि ये तीनों गांव सड़क मार्ग से जुड़े हैं। इन गांवों में पर्यटकों के रूकने के लिए होम स्टे, जिला पंचायत के गेस्ट हाउस, गढ़वाल मंडल विकास निगम के रेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।
किस मौसम में करें दीदार
वैसे दयारा के लिए सालभर मौसम अनुकूल ही रहता है। यदि आपको वर्फवारी का आनंद लेना है तो आप सर्दियों में यहां की सैर कर सकते हैं यदि आपको बुग्याल की ट्रैकिंग करनी है तो आप अप्रैल से अक्टूबर तक यहां की सैर कर सकते हैं।
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http://uttarakhandpage.com/gartanggalitraveloguebyrauthanrakhi/
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