बागेश्वर उपचुनाव- शह मात का खेल शुरू, कौन पड़ेगा किस पर भारी ?
उत्तराखंड: पांच सितंबर को बागेश्वर उपचुनाव के लिए मतदान होना है। तारीखों का ऐलान होते ही प्रदेश में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। बागेश्वर उपचुनाव में शह मात का खेल शुरू हो गया। जहां एक ओर बीजेपी ने कांग्रेस प्रत्याशी को अपनी तरफ कर लिया है तो वहीं कांग्रेस ने भी आप उम्मीदवार बसंत कुमार को पार्टी में शामिल कर लिया है।
पांच सितंबर को बागेश्वर उपचुनाव के लिए मतदान होना है। लेकिन मतदान से पहले सभी की नजरे भाजपा और कांग्रेस की उम्मीदवारों पर टिकी हुई हैं। कि आखिर बीजेपी और कांग्रेस किन-किन चेहरों पर दांव खेलती है। हालांकि बागेश्वर उपचुनाव में शह मात का खेल शुरू हो चुका। बीजेपी ने जहां 2022 में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे रंजीत दास को पार्टी में शामिल कर लिया है। कांग्रेस उम्मीदवारों के पैनल में रंजीत दास का नाम भी शामिल था। जिससे माना जा रहा है कि भाजपा ने तगड़ा झटका कांग्रेस को बागेश्वर में दिया है।
किसे टिकट देगी भाजपा ?
इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं कि बीजेपी अपना उम्मीदवार किसे बनाती है। माना जा रहा है कि भाजपा चंदन राम दास के परिजनों में से ही किसी सदस्य को टिकट देगी। जिसमें चंदन रामदास की पत्नी और बेटे गौरव दास का नाम पैनल में शामिल बताया जा रहा है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि भाजपा चंपावत की तर्ज पर बागेश्वर उपचुनाव को लड़ेगी। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया है कि 94% से ज्यादा मत हासिल करने का लक्ष्य के साथ भाजपा चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आगे आने वाले और दिनों में बागेश्वर में और बड़े नेता पार्टी का दामन थामेंगे।
कांग्रेस के दांव से बदल सकता है बागेश्वर में खेल
भाजपा जहां कांग्रेस नेताओं को तोड़कर बागेश्वर उपचुनाव में मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करने के साथ ही जीत की रणनीति पर काम कर रही है। तो वहीं कांग्रेस भी बागेश्वर चुनाव को मजबूती से लड़ने की बात कह रही है। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार रहे बसंत कुमार को कांग्रेस पार्टी ने अपने पाले में शामिल करा दिया है। जिसके बाद माना जा रहा है कि बसंत कुमार पर ही कांग्रेस पार्टी उपचुनाव में दांव खेलेगी।
2022 के चुनाव का ये था गणित
2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में बसंत कुमार 16000 के करीब वोट लेकर आए थे। जबकि रंजीत दास 20,000 के करीब वोट कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लेकर आए थे। जबकि चंदन रामदास 26 हजार के करीब वोट लेकर आए थे। ऐसे में कांग्रेस की रणनीति है कि बसंत कुमार को पार्टी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारती है। तो कांग्रेस का वोट बैंक के साथ बसंत कुमार ने जो वोट आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर हासिल किए थे। उनको अगर वो वोट बैंक उपचुनाव में हासिल होता है तो बाजी पलटी जा सकती है।
बसंत कुमार हो सकते हैं कांग्रेस के उम्मीदवार
सभी की निगाहें इस वक्त कांग्रेस के बसंत कुमार पर टिकी हुई है। क्योंकि रंजीत दास के भाजपा ज्वाइन करने के बाद बसंत कुमार ही बड़े कद के नेता बागेश्वर में नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस को अब बसंत कुमार के आने के बाद पैनल में उम्मीदवारों के जो नाम है उनको भी बदलना पड़ रहा है। कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि बसंत कुमार चुनाव लड़ने की शर्त पर तो कांग्रेस में नहीं आए लेकिन पैनल में उनका नाम हाईकमान को भेजा जाएगा।
बागेश्वर उपचुनाव में कौन पड़ेगा किस पर भारी ?
बागेश्वर उपचुनाव की चुनावी जंग बेहद रोचक होने वाली है। जहां एक तरफ जहां सत्ता पक्ष के लिए ये चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। तो वहीं जिस तरीके से कांग्रेस का जनाधार उत्तराखंड में गिरता हुआ नजर आ रहा है, उस गिरते हुए जन आधार को बढ़ाने का भी एक मौका बागेश्वर उप चुनाव कांग्रेस के लिए संजीवनी के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में देखना ये होगा कि आखिरकार दोनों राष्ट्रीय दलों के उम्मीदवार कौन होते हैं औक किसे उपचुनाव में जीत मिलती है।