उप वन संरक्षक ने स्थानीय लोगों से की अपील
रुद्रप्रयाग। वनों की अग्नि से सुरक्षा को लेकर उप वन संरक्षक रुद्रप्रयाग वैभव कुमार सिंह ने स्थानीय निवासियों से अपील करते हुए वनों में लगने वाली आग की रोकथाम के लिए सहयोग की अपील की है। उन्होंने वनाग्नि से होने वाली हानि के साथ ही इससे बचाव को लेकर विस्तार से जानकारी दी। साथ ही वन में आग लगाने पर की जाने वाली कार्यवाही को लेकर भी जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि वनों में आग लगने से वन संपदा नष्ट होने के साथ ही भू-सतह के अंदर रिसाव में कमी के कारण जल स्रोतों के परिपोषण पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इसके साथ-साथ वनाग्नि से उत्पन्न धुएं से सांस व आंख की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है तथा पर्यटन पर भी इससे प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वनों की अग्नि से सुरक्षा में स्थानीय निवासियों की जागरुकता व सक्रिय सहयोग आवश्यक है। उन्होंने वनों में लगने वाली आग से सुरक्षा के दृष्टिगत आवश्यक सावधानियों को लेकर बताया कि वनों के समीप स्थित खेतों में आड़ा जलाते समय विशेष सावधानी बरतें तथा आग को पूर्णतः बुझाकर ही खेतों को छोड़ें। इसके अलावा वनों में जलती तीली, बीड़ी, सिगरेट आदि न फेंकी जाएं। कहा कि विवाह समारोहों में पटाखे जलाने आदि में विशेष सतर्कता बरतने के साथ ही बच्चों को खेल-खेल में आग न लगाने व घरों, खेतों के आसपास ज्वलनशील पदार्थ घास, फूल, सूखा कूड़ा-करकट आदि के जमा होने पर सतर्कता की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय वन अधिनियम, 2001 के अनुसार आरक्षित वन में आग लगाने पर व कारावास, जुर्माने आदि की जानकारी दी। कहा कि भारतीय वन अधिनियम के तहत हर वो व्यक्ति जो आरक्षित वन क्षेत्रों के समीप स्थित गांवों में निवासरत है तथा किसी भी राजकीय सेवा अथवा राज्य द्वारा किसी प्रकार की वित्तीय सहायताध्अनुदान प्राप्त करता है वह वन अग्नि की दशा में वन विभाग की सहायता करने के लिए बाध्य है। ऐसा न करने की दशा में संबंधित के विरुद्ध कार्यवाही करते हुए एक वर्ष कारवास या दो हजार रुपए का जुर्माना अथवा दोनों का प्राविधान है।