जानिए क्या होता है श्वेत पत्र? पहली बार कब हुआ था पेश..
देश-विदेश: आज संसद में श्वेत पत्र पेश किया गया है। बता दें कि एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के दौरान कहा था कि मोदी सरकार यूपीए सरकार की नाकामियों पर श्वेत पत्र लेकर आएगी। इसी ऐलान के बाद आज संसद में श्वेत पत्र पेश कर दिया गया है। श्वेत पत्र एक सरकारी दस्तावेज होता है। इसके जरिए सरकार अपनी नीतियों और उपलब्धियों को हाई लाइट करने का प्रयास करेगी और उनका रिएक्शन जानने की कोशिश भी करेगी। श्वेत पत्र संभवत: फिस्कल पॉलिसी, मॉनेटरी पॉलिसी, ट्रेड पॉलिसी नीति और एक्सचेंज रेट पॉलिसी जैसे विभिन्न विषयों को कवर करते हुए पिछले कुछ सालों में भारत सरकार की ओवर ऑल इकोनॉमिक पॉलिसी का वर्णन मूल्यांकन और विश्लेषण करेगा।
श्वेत पत्र के जरिए यूपीए और एनडीए सरकार के कार्यकाल में हुए कार्यों की तुलना की जाएगी। साथ ही सरकार अपने कार्यकाल में उठाए गए सकारात्मक कदमों के बारे में भी बताएगी। श्वेत पत्र एक रिपोर्ट होती है, जिसके जरिए सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताया जाता है। श्वेत पत्र में शामिल दस्तावेज कई रंगों में होते हैं। इन्हीं रंगों के हिसाब से दस्तावेजों का वितरण किया जाता है।
कौन जारी करता है श्वेत पत्र?
सरकार के अलावा कोई भी कंपनी, या संस्था श्वेत पत्र ला सकती है। आमतौर पर कंपनियां इसके जरिए अपनी स्थिति के बारे में बताती है। इससे कंपनी के ग्राहकों और उत्पादों के बारे में विस्तृत जानकारी भी मिलती है। रिपोर्ट्स के अनुसार साल 1922 में ब्रिटेन में पहली बार श्वेत पत्र लाया गया था। अंतरिम बजट पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया था कि साल 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली, तब भारतीय अर्थव्यवस्था क्राइसिस में थी। इस स्थिति के लिए उन्होनें मनमोहन सरकार के मिस मैनेजमेंट को जिम्मेदार ठहराया।