हरक सिंह रावत के कारण बदल सकते हैं..
केदारनाथ सहित पांच विधानसभा सीटों के समीकरण..
उत्तराखंड : पूर्व काबीना मंत्री हरक सिंह रावत के भाजपा से निष्कासन और कांग्रेस में शामिल होने की संभावनाओं के बाद उत्तराखंड में करीब छह विधानसभा सीटों पर दावेदारों के समीकरण बदलने की संभावना है। इससे कहीं दावेदारों ने राहत की सांस ली है, तो कहीं नए सिरे से समीकरण बैठाए जा रहे हैं।
1.केदारनाथ..
केदारनाथ विधानसभा सीट पर डॉ.हरक सिंह रावत के मूवमेंट से भाजपा-कांग्रेस दोनों जगह खलबली मची थी। भाजपा के स्थानीय दावेदार इसीलिए परेशान थे कि उन्हें अपना टिकट कटता नजर आ रहा था। इसके चलते भाजपा से दावेदार आशा नौटियाल और शैला रानी रावत हरक के खिलाफ झंडा बुलंद किए हुए थीं। दूसरी ओर केदारनाथ सीट पर कांग्रेस विधायक मनोज रावत का हरक सिंह से सीधा मुकाबला हो सकता था। अब यह संभावनाएं लगभग खत्म होती दिखाई दे रही हैं।
2.लैंसडौन..
अब हरक सिंह के भाजपा से विदा होने के बाद पार्टी में लैंसडौन से टिकट को लेकर मारामारी की स्थिति नहीं रहेगी। यहां से हरक, भाजपा पर अपनी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को टिकट देने का दबाव बनाए हुए थे। ऐसे में हरक की भाजपा से विदाई को लेकर विधायक दिलीप रावत सबसे अधिक खुश हैं। उन्होंने भाजपा मुख्यालय में अपनी खुशी का इजहार भी किया।
3.कोटद्वार..
भाजपा में कोटद्वार सीट से टिकट के दावेदार अब निश्चिंत हैं। हरक के जाने से स्थानीय दावेदारों को आगे आने का मौका मिल गया है। कोटद्वार सीट पर पिछली बार हरक से चुनाव हारने वाले सुरेंद्र सिंह नेगी भी राहत महसूस कर रहे होंगे। अब कम से कम कोटद्वार में हरक से उनका मुकाबला नहीं होने जा रहा है। हालांकि हरक सिंह खुद भी कोटद्वार सीट से चुनाव लड़ना नहीं चाह रहे थे।
4.यमकेश्वर..
हरक के कांग्रेस में जाने के बाद उनके यमकेश्वर से भी चुनाव लड़ने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। ऐसे में यहां से पूर्व में प्रत्याशी रहे शैलेंद्र रावत के लिए मुश्किल होगी। उनके लिए कांग्रेस में रहते हुए सभी रास्ते बंद हो जाएंगे,क्योंकि कोटद्वार में पहले से सुरेंद्र सिंह नेगी जमे हैं। ऐसे में 2017 में भाजपा छोड़ कांग्रेस में जाने वाले शैलेंद्र रावत पर अब भाजपा डोरे डाल सकती है। कोटद्वार में भाजपा के लिए शैलेंद्र विकल्प बन सकते हैं।
5.डोईवाला..
हरक के कांग्रेस से डोईवाला से भी चुनाव लड़ने की कयासबाजी लगाई जा रही है। ऐसा होता है तो पूरी संभावना है कि यहां उनके सामने भाजपा के त्रिवेंद्र रावत होंगे। ऐसा हुआ तो यह सबसे दिलचस्प मुकाबलों में रहेगा। हालांकि ऐसे में कांग्रेस को हीरा सिंह बिष्ट के लिए नया विकल्प तलाशना होगा। बिष्ट के लिए रायपुर विधानसभा सीट को भी एक विकल्प माना जा रहा है।
6.रायपुर..
हरक के डोईवाला आने पर यदि हीरा सिंह बिष्ट रायपुर आते हैं, तो यहां कांग्रेस में घमासान मचना तय है। दरअसल रायपुर में कांग्रेस के भीतर टिकट को पहले ही लेकर मारामारी का आलम है। यहां पूर्व प्रत्याशी प्रभुलाल बहुगुणा और आरएसएस को छोड़ कांग्रेस में आए महेंद्र सिंह नेगी गुरुजी समेत तमाम दावेदार हैं। उन्हें समझाना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा।