उत्तराखंड के वन विभाग में बढ़ेगा आईएफएस का कैडर..
नौ पद बढ़ाने का है प्रस्ताव..
उत्तराखंड : वर्तमान में प्रदेश का वन महकमा अफसरों की कमी से जूझ रहा है। विभागीय ढांचे को देखें तो विभाग में 17 वृत्त, 44 प्रभाग, 287 रेंज, 1569 बीट हैं। वन वृत्त और प्रभागों के मुखिया की जिम्मेदारी आईएफएस के पास होती है। जो मुख्य वन संरक्षक, वन संरक्षक और प्रभागीय वनाधिकारी की जिम्मेदारी निभाते हैं।
उत्तराखंड में भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के कैडर में पदों में बढ़ोतरी की जाएगी। इसके लिए वन विभाग के प्रस्ताव पर शासन में सहमति बन चुकी है। अब इसे केंद्र को भेजा जाएगा। इसमें कैडर में नौ पद बढ़ाने जाने का प्रस्ताव है। अभी तक राज्य कैडर में 112 पद हैं, जो बढ़कर 121 हो जाएंगे। इससे प्रदेश में वन अफसरों की कमी दूर हो सकेगी।
वर्तमान में प्रदेश का वन महकमा अफसरों की कमी से जूझ रहा है। विभागीय ढांचे को देखें तो विभाग में 17 वृत्त, 44 प्रभाग, 287 रेंज, 1569 बीट हैं। वन वृत्त और प्रभागों के मुखिया की जिम्मेदारी आईएफएस के पास होती है। जो मुख्य वन संरक्षक, वन संरक्षक और प्रभागीय वनाधिकारी की जिम्मेदारी निभाते हैं। विभाग में आईएफएस कैडर के तहत 112 पद स्वीकृत हैं। स्वीकृत पदों के सापेक्ष वर्तमान में 91 अफसर मौजूदा समय में विभाग के पास हैं। इनमें से भी छह अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति, 11 राज्य प्रतिनियुक्ति पर हैं। विभाग के मुखिया प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) विनोद कुमार सिंघल ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि इस संबंध में पांच अगस्त को शासन में प्रमुख सचिव वन की अध्यक्षता में बैठक हुई थी, जिसमें विभाग के प्रस्ताव पर सहमति बनी है।
इस वर्ष 16 अफसर होने हैं रिटायर..
इस वर्ष 2022 में वन विभाग में 31 दिसंबर तक 16 आईएफएस रिटायर होने हैं। इनमें से अब तक 13 अफसर रिटायर हो चुके हैं। एक आईएफएस अक्तूबर और दो दिसंबर में रिटायर हो जाएंगे।
अगले साल तक मिलेंगे छह नए आईएफएस..
वन विभाग में अफसरों की कमी के बीच अगले साल तक छह नए आईएफएस मिल जाएंगे। एपीसीसीएफ प्रशासन बीके गुप्ता ने बताया कि वर्तमान में 2020 बैच के दो आईएफएस प्रोबेशन पीरियड में हैं, जो अगले साल तक विभाग को मिल जाएंगे। इसके अलावा 2021 बैच के चार आईएफएस इन दिनों ट्रेनिंग कर रहे हैं, जो अगले वर्ष तक विभाग को मिल जाएंगे।
वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ होते हैं तमाम काम..
आईएफएस अधिकारियों के पास वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के अलावा भी तमाम काम होते हैं। नमामि गंगे परियोजना, ईको टूरिज्म, आरक्षित वन क्षेत्रों का वैज्ञानिक प्रबंधन, उत्तराखंड वन संसाधन प्रबंध योजना (जायका), वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन, प्रशासन एवं प्रबंधन जैसे कामों की जिम्मेदारी भी आईएफएस पर होती है। इसके अलावा क्षतिपूर्ति, कैंपा, वन पंचायतों सहित तमाम ऐसे काम होते हैं, जिनकी जिम्मेदारी आईएफएस के कंधों पर होती है। कहीं न कहीं वन अफसरों की कमी सीधे तौर पर आम जनता को भी प्रभावित करती है।
सभी राज्यों के लिए अपनी जरूरत के हिसाब से हर पांच साल में कैडर रिव्यू होता है। समय के साथ जरूरतें भी बदलती रहती हैं। इसी के अनुसार केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाता है। उत्तराखंड वन महकमे में आईएफएस का कैडर बढ़ाए जाने की लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी। शासन में परीक्षण के बाद अब प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा। इससे महकमे में अफसरों की कमी काफी हद तक दूर हो सकेगी।