आाखिर कब तक ठगा महसूस करेगा उत्तराखण्ड का हताश और हतप्रभ बेरोजगार?
उत्तराखण्ड:उत्तराखण्ड को एक पृथक राज्य बनाने वाले आंदोलनकारियों ने न जाने कितने सपने देखें होंगे इस राज्य के विकास के लिए, मगर किसे पता था राज्य की स्थिति जो गठन से पूर्व थी उससे और अधिक भयावह हो जायेगी। राज्य गठन के बाद अगर राज्य किसी चीज में अब्बल रहा है तो वह है मंहगाई, भ्रष्टाचार,पलायन और बेरोजगारी।
आज हम अपने इस लेख में उत्तराखण्ड में व्याप्त बेरोजगारी व बेरोजगारों के साथ हो रहे छलावे पर चर्चा करेंगे।
पारिवारिक परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश के अधिकांश युवा 10वीं, 12वीं पास करने के बाद या तो आर्मी में जाने का सपना संजोते हैं या फिर होटेल लाइन में जाने का और कुछ कर भी क्या सकता है? क्योंकि राज्य गठन के 21 वर्षों के बाद भी हम रोजगार के साधनों को सृजित करने में नाकाम जो रहे हैं। जो युवा आर्मी या अन्य क्षेत्रों में नहीं जा पाते हैं वे सरकारी नौकरी की तैयारी में लग जाते हैं। मगर राज्य के वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए यह कहना मुश्किल सा हो जाता है कि उत्तराखण्ड में सरकारी नौकरी किसको मिलेगी क्योंकि ये फैसला युवाओं की मेहनत नहीं बड़े-बड़े नेता/माफिया करने लगे हैं।
जी हां तो अब हम मुद्दे पर आते हैं वर्तमान में उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में जो अनियमिततायें सामने आयीं हैं उससे तो यही लगता है कि उत्तराखण्ड में सरकारी नौकरी के लिए मेहनत से ज्यादा जरूरी हो यह है कि या तो तुम नेताओं के रिश्तेदार हों या फिर 10 से 15 लाख रूपये देने की हैसियत रखते हों।
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा विज्ञापन संख्या-29/उ0अ0से0च0आ0/2020 दिनांक 06 नवम्बर,2020 के द्वारा समूह ‘ग‘ मे समाज कल्याण विभाग के अन्तर्गत सहायक समाज कल्याण अधिकारी/छात्रावास अधीक्षक, उ0रा0नि0आ0/उ0अ0से0च0आ0 के अन्तर्गत सहायक समीक्षा अधिकारी, उ0रा0प0 के अन्तर्गत सहायक चकबन्दी अधिकारी, सूचना एवं लोक सम्पर्क के अन्तर्गत संवीक्षक तथा संरक्षक-कम-डाटा एण्टी ऑपरेटर, पंचायती राज के अन्तर्गत वीपीडीओ, म0बा0वि0 के अन्तर्गत सुपरवाईजर, ज0वि0 के अन्तर्गत मैटन केयर, उ0प0वि0 के अन्तर्गत सहायक स्वागती, उद्योग विभाग के अन्तर्गत सहायक प्रबन्धक उद्योग तथा ग्राम्य विकास विभाग के अन्तर्गत वीडीओ के कुल 854 पदों पर भर्ती हेतु विज्ञापन जारी किया गया। उक्त स्तानक स्तरीय भर्ती परीक्षा में हुई धांधली के बाद से उत्तराखण्ड में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे छात्र/छात्राओं को झकझोर कर के रख दिया है,उक्त परीक्षा में हुई अनियमितता की जांच एसटीएफ द्वारा की जा रही है। जब ये लेख लिखा जा रहा है उस समय तक एसटीएफ द्वारा 26 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा एसटीएफ की जांच पूरी होने से पूर्व ही उक्त भर्ती परीक्षा को निरस्त किये जाने के आदेश दिये गये हैं, परन्तु भर्ती परीक्षा को यदि निरस्त किया जाता है तो जिन अभ्यर्थियों द्वारा अपनी मेहनत से परीक्षा पास की गयी है उनके साथ बहुत बड़ी जाती होगी। क्योंकि उत्तराखण्ड में एक परीक्षा को सम्पन्न करने में लगभग 3 साल लग जाते हैं, ऐसे में स्वयं की मेहनत से निकले छात्रों को और तीन साल इंतजार करना होगा। वर्ष 2016 में हुई वीडीओ/वीपीडीओ को भी इस आशय के साथ रद्द किया कि निकट भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी किन्तु नतीजा कुछ और ही रहा किसी भी भर्ती को रद्द किया जाना समाधान नहीं है। उक्त परीक्षा में हुई गडबड़ियों को लेकर कहीं अभ्यर्थी इसकी सीबीआई जांच करने की मांग कर रहे हैं। आपको बता दें कि उत्तराखण्ड पहला ऐसा राज्य नहीं है जहां परीक्षाओं में गडबड़ियां पायी गयी हों इससे पूर्व अन्य राज्यों में भी ऐसी गडबड़ियां सामने आयीं हैं। जिसमें प0 बंगाल एसएससी घोटाला जो अभी चर्चाओं में बना है कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी साथ ही इसमें जांच के लिए ईडी को भी शामिल किया गया है। यहां यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या UKSSSC SCAM की जांच सीबीआई को सौंपी जायेगी या फिर बेरोजगारों को इसी तरह आगे भी छला जायेगा।
UKSSSC SCAM के बाद हर मेहनती युवा अपने को छला हुआ महसूस कर रहा है गॉवों से निकलकर देहरादून, हल्द्वानी,नैनीताल जैसे शहरों में सरकारी नौकरी की तैयारी करता युवा जब 4-5 साल की मेहनत के बाद असफल होता तो उसे यही लगता था कि कहीं न कहीं थोड़ी कमी रह गयी मगर वो नहीं जानता था उसकी मेहनत हार चुकी है पैसांे के सामने।
उत्तराखण्ड राज्य के मौजूदा हाल पर नेगी जी की ये पंक्तियां कितनी सटीक बैठती हैं:- लिखी पढी बेकार बैठ्यान,हमारा छोरों कू भी ख्याल रख्यान पेली अपरा लगोलू रे, तुम देखदी रांया रे।
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा करायी गयी भर्तियों में शायद ही कोई ऐसी भर्ती होगी जिसे मा0 न्यायालय में चैलेंज न किया गया हो। बात अगर वर्ष 2016 की वीपीडीओ भर्ती की करें या फिर वर्ष 2020 में करायी गयी फॉरेस्ट गार्ड भर्ती हो या फिर सहायक लेखाकार की भर्ती हों सभी भर्तियों विवादों में बनी रही हैं।
राज्य में बेरोजगारी के आंकड़ों की अगर बात की जाय तो यहां बेरोजगारी दर लगभग 8.7 फीसदी है जो राष्ट्रीय स्तर की बेरोजगारी दर 7.8 फीसदी से अधिक है ( Source : https://www.cmie.com/ )
उक्त परीक्षा में हुई धांधली के बारे में अभी स्पष्ट कुछ नहीं कहा जा सकता एसटीएफ की जांच के बाद ही किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है।