उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन को 500 करोड़ का मजबूत सपोर्ट, संसाधनों और तैयारियों में बढ़ोतरी..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में इस मानसून में आई प्राकृतिक आपदा ने राज्य को भारी नुकसान पहुँचाया है। आपदा में 136 लोगों की मौत और 149 लोग घायल हुए, जबकि लगभग छह हजार आवास क्षतिग्रस्त हुए। इसके साथ ही सरकारी संपत्ति को भी व्यापक नुकसान हुआ है। ऐसे में राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग ने न केवल पुनर्निर्माण के काम को प्राथमिकता दी है, बल्कि भविष्य में आपदाओं के प्रभावों को कम करने के लिए सिस्टम को और मजबूत करने का भी निर्णय लिया है। आपदा प्रबंधन विभाग ने इस दिशा में विश्व बैंक की “यू प्रिपेयर योजना” के तहत पांच सौ करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट भेजने का निर्णय लिया है। इस परियोजना के तहत तहसील स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित करने, आपदा राहत उपकरणों और संसाधनों की संख्या बढ़ाने और विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने की तैयारी है।
आपदा प्रबंधन विभाग का उद्देश्य है कि भविष्य में अतिवृष्टि और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान नुकसान कम से कम हो। इसके लिए विभाग ने संसाधनों, उपकरणों और आपदा प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत करने की योजना बनाई है। इससे आपदा की स्थिति में तेज और प्रभावी प्रतिक्रिया संभव होगी। इस मानसून में भारी बारिश और भूस्खलन से न केवल सामान्य नागरिकों को हानि हुई, बल्कि सरकारी भवन, सड़कें और अन्य बुनियादी ढांचे भी प्रभावित हुए। विभाग ने नुकसान का आंकलन कर बहाली और पुनर्निर्माण के कामों की प्राथमिकता तय की है।
आपदा प्रबंधन विभाग में विश्व बैंक की “यू प्रिपेयर” योजना के तहत कुल 1480 करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इस योजना की समय सीमा पांच साल निर्धारित की गई है, जिसके तहत राज्य में आपदा प्रबंधन प्रणाली को मजबूत और आधुनिक बनाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। विभाग की योजना है कि संबंधित योजना में कंटिजेंसी इमरजेंसी रिस्पांस कंपोनेंट (CERC) के तहत 500 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के माध्यम से भेजा जाएगा। हाल ही में शासन स्तर पर इस पर चर्चा हुई और प्रोजेक्ट तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है। सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन ने कहा कि वर्तमान में जिले स्तर पर कंट्रोल रूम हैं, जिन्हें और सुदृढ़ किया जाएगा। इसके साथ ही तहसील स्तर पर भी कंट्रोल रूम स्थापित किए जाएंगे ताकि आपदा के समय तेज और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके।
प्रोजेक्ट के तहत रेस्क्यू व्हीकल खरीदने, शेल्टर बनाने और प्री फैब्रिकेटेड स्कूलों का निर्माण जैसी योजनाओं पर भी काम किया जाएगा। इससे न केवल आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्य तेज होंगे, बल्कि भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं के प्रभावों को कम करने में भी मदद मिलेगी। विभाग का मानना है कि केवल आपदा के बाद राहत कार्य करना पर्याप्त नहीं है। इसके लिए सुरक्षा और बचाव की आधुनिक प्रणालियां, बेहतर उपकरण और प्रशिक्षित कर्मी अनिवार्य हैं। यू प्रिपेयर योजना के लागू होने से उत्तराखंड आपदा प्रबंधन में सुदृढ़ और आधुनिक तंत्र तैयार होगा, जो भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होगा।
उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन विभाग ने आपदा के दौरान रिस्पांस टाइम को कम करने में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। राज्य में प्राकृतिक आपदाओं या अन्य आपदा स्थितियों में तेजी से राहत और बचाव कार्य सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने पिछले वर्षों की तुलना में रिस्पांस टाइम 22 मिनट से घटाकर करीब 12 मिनट कर दिया है। आपदा की स्थिति में प्रतिक्रिया की गति सीधे तौर पर प्रभावित लोगों की जान और संपत्ति की सुरक्षा से जुड़ी होती है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार, रिस्पांस टाइम घटने से राहत और बचाव कार्य और अधिक प्रभावी और तेज हो गया है।