उत्तराखंड विजिलेंस को मिली तकनीकी ताक़त, 20 नए पदों की मंजूरी..
उत्तराखंड: प्रदेश में भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने के लिए उत्तराखंड सरकार ने विजिलेंस को तकनीकी और वित्तीय मामलों में भी स्वतंत्र और दक्ष बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब विजिलेंस को तकनीकी व वित्तीय जांच के लिए बाहरी एजेंसियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। राज्य कैबिनेट ने 20 नए पदों के सृजन को मंजूरी दी है, जिनमें इंजीनियरिंग और वित्त विशेषज्ञों की संविदा पर नियुक्ति की जाएगी। इसके साथ ही विजिलेंस की ताकत बढ़ाने के लिए कुछ अराजपत्रित पुलिस अधिकारियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा, जिनमें इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी होंगे। यह निर्णय इसलिए अहम है क्योंकि अब तक विजिलेंस को तकनीकी जांच के लिए विशेषज्ञों की कमी के कारण कई बार जांच में देरी या कठिनाई का सामना करना पड़ता था। सरकार का यह कदम पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है।
विजिलेंस विभाग की क्षमता बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने बुधवार को कैबिनेट बैठक में 20 नए पदों के सृजन को मंजूरी दे दी है। इन पदों में विभिन्न विधाओं के इंजीनियरों और वित्तीय विशेषज्ञों की संविदा पर नियुक्ति की जाएगी। इसके साथ ही कुछ इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर रैंक के अराजपत्रित पुलिस अधिकारियों को भी विजिलेंस में तैनात किया जाएगा। बता दे कि कई बार भ्रष्टाचार की जांच, विशेषकर निर्माण कार्यों या वित्तीय गड़बड़ियों में, इतनी तकनीकी होती है कि पुलिस अधिकारियों को बाहरी विशेषज्ञों की मदद लेनी पड़ती है। इससे न सिर्फ जांच में देरी होती है बल्कि आरोपी को कानूनी लाभ भी मिल सकता है। जांच में तकनीकी गहराई की कमी से मामलों की धार कमजोर हो जाती है और कई बार प्रमाणित भ्रष्टाचार भी साबित नहीं हो पाता। इसी जरूरत को देखते हुए विजिलेंस ने वर्ष 2022 में तकनीकी विशेषज्ञों को ढांचे में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा था, जिसे अब जाकर कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। सरकार का यह फैसला विजिलेंस को आधुनिक, सक्षम और स्वतंत्र जांच एजेंसी के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
उत्तराखंड सरकार ने विजिलेंस विभाग को और अधिक सक्षम, तकनीकी रूप से दक्ष और तेज़तर्रार बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में विजिलेंस विभाग के लिए 20 नए पदों के सृजन को मंजूरी दी गई, जिससे विभाग का कुल ढांचा अब 132 से बढ़कर 152 पद का हो गया है। इन नए पदों में ज्यादातर अधिकारी पुलिस विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आएंगे, जिनमें इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी शामिल होंगे। इसके साथ ही तकनीकी मामलों की बारीकियों को समझने के लिए विभाग में अब सीए, सिविल इंजीनियर और वित्तीय विशेषज्ञों को संविदा पर तैनात किया जाएगा।
इस निर्णय से विजिलेंस की जांच क्षमता में गुणात्मक सुधार होगा। अब किसी निर्माण कार्य में हुई अनियमितताओं या जटिल वित्तीय गड़बड़ियों की गहराई से जांच संभव हो सकेगी। वो भी बिना बाहरी एजेंसियों पर निर्भर हुए। पदों में वृद्धि से विभाग को तकनीकी और वित्तीय जटिलताओं से जुड़ी चुनौतियों का समाधान मिलेगा और इससे विभिन्न जांचों की गति भी तेज होगी। सरकार का यह फैसला भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई को अधिक प्रभावशाली और मजबूत आधार प्रदान करने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।