उत्तराखंड में गोवा की तर्ज पर किराये पर मिलेंगे फ्लैट और कॉटेज, पर्यटन विभाग ला रहा नई योजना..
उत्तराखंड: उत्तराखंड घूमने आने वाले पर्यटकों को अब ठहरने के लिए एक नया और आधुनिक विकल्प मिलने जा रहा है। प्रदेश सरकार गोवा की तर्ज पर ‘बेड एंड ब्रेकफास्ट योजना’ लागू करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत पर्यटक किराये पर फ्लैट, अपार्टमेंट, कोठी, कॉटेज और बंगले ले सकेंगे। पर्यटन विभाग ने इसके लिए उत्तराखंड पर्यटन यात्रा व्यवसाय एवं पंजीकरण नियमावली में संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। योजना लागू होने के बाद नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों में रहने वाले भवन स्वामी अपने आधुनिक भवन, अपार्टमेंट या कॉटेज को पर्यटन विभाग में पंजीकृत करा सकेंगे।पंजीकरण के बाद इन भवनों को किराये पर पर्यटकों को उपलब्ध कराया जा सकेगा। इससे यात्रियों को न केवल होटल से अलग और आरामदायक अनुभव मिलेगा बल्कि स्थानीय संस्कृति और जीवनशैली से जुड़ने का मौका भी मिलेगा।
इस योजना से स्थानीय भवन स्वामियों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिलेगा। पर्यटन विभाग का मानना है कि यह कदम न केवल पर्यटकों की सुविधा बढ़ाएगा बल्कि होम-स्टे और ग्रामीण पर्यटन की तरह राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। पर्यटन विभाग की ओर से कहा गया है कि आगामी बैठकों में अंतिम निर्णय के बाद यह योजना लागू कर दी जाएगी। विभाग को उम्मीद है कि इस कदम से उत्तराखंड का पर्यटन ढांचा और मजबूत होगा तथा राज्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी। उत्तराखंड में वर्तमान में पर्यटकों को वाजिब मूल्य पर घर जैसा ठहराव व खान-पान देने के लिए होमस्टे योजना संचालित है। योजना के अंतर्गत राज्य में चार हजार से अधिक होमस्टे मौजूद हैं। लेकिन, होमस्टे खोलने के लिए कई अनिवार्य नियम हैं, जिससे कि हर भवन स्वामी इसके लिए पात्र नहीं होता।
नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत क्षेत्र में संचालित होगी बेड एवं ब्रेकफास्ट योजना..
अभी तक राज्य में होमस्टे योजना संचालित की जा रही है। इस योजना के तहत मकान स्वामी का उसी संपत्ति पर रहना अनिवार्य है। साथ ही होमस्टे का पंजीकरण सिर्फ वही व्यक्ति करा सकता है, जो उत्तराखंड का स्थायी निवासी हो। इन शर्तों की वजह से कई भवन स्वामी इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे थे। अब सरकार ‘बेड एंड ब्रेकफास्ट योजना’ लाने जा रही है, जिसमें इन बाध्यताओं को खत्म कर दिया जाएगा। इस योजना में नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों में रहने वाले भवन स्वामी अपने आधुनिक भवन, अपार्टमेंट, कॉटेज, बंगले या कोठी को पर्यटन विभाग में पंजीकृत करा सकेंगे। इसके बाद इन्हें पर्यटकों को किराये पर उपलब्ध कराया जा सकेगा। नई व्यवस्था से पर्यटकों को होटल से अलग, आरामदायक और व्यक्तिगत अनुभव मिलेगा। वहीं, भवन स्वामियों को अपनी खाली पड़ी संपत्ति से अतिरिक्त आय का स्रोत मिलेगा। इससे न केवल स्थानीय लोगों को फायदा होगा, बल्कि प्रदेश की पर्यटन अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
बेड एवं ब्रेकफास्ट योजना के अंतर्गत भवन स्वामी को वहां रहने की बाध्यता नहीं होगी। बाहरी क्षेत्रों में निवासरत भवन स्वामी भी उत्तराखंड में मौजूद अपनी संपत्ति का योजना में पंजीकरण करा सकेंगे। इसके लिए तीन हजार रुपये पंजीकरण शुल्क लगेगा। भवन के अधिकतम 10 कमरों को पर्यटकों को किराये पर देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। पंजीकरण होने के बाद हर पांच साल में इसका नवीनीकरण भी होगा। बेड एवं ब्रेकफास्ट योजना के अंतर्गत पंजीकरण आवासों में पर्यटकों को घर जैसी सभी सुविधाएं मिलेंगी। खाना बनाने के लिए बर्तन, फ्रीज, माइक्रोवव आदि से लैस किचन मिलेगा। बेड, बिस्तर, एसी और आवश्यक सुविधाओं से लैस कमरे व वाशिंग मशीन, बाथ टब, और शावर आदि से सुसज्जित बाथरूम मिलेंगे।
वाहन खड़े करने के लिए आवासों में पर्याप्त पार्किंग का स्थान होगा। बेड एवं ब्रेकफास्ट योजना पूरी तरह से व्यवसायिक श्रेणी में शामिल होगी। मतलब आधुनिक भवन के बिजली, पानी, आवास आदि का शुल्क भवन स्वामी को व्यवसायिक श्रेणी में देना होगा। जबकि यूटीडीबी ने होमस्टे को अव्यवसायिक श्रेणी में रखा है। होमस्टे के भवन स्वामी सभी शुल्कों का भुगतान आवासीय तौर पर करते हैं। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (UTDB) ने संकेत दिए हैं कि प्रस्तावित संशोधन और औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद जल्द ही यह योजना लागू कर दी जाएगी। विभाग को उम्मीद है कि गोवा और अन्य राज्यों की तर्ज पर यह कदम उत्तराखंड में पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।
अब होमस्टे योजना में बड़े फेरबदल की तैयारी कर रही है। पर्यटन विभाग का उद्देश्य राज्य में आने वाले पर्यटकों को न सिर्फ ठहरने की सुविधा देना है, बल्कि उन्हें उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा और जीवनशैली का भी अनुभव कराना है। नई व्यवस्था के तहत होमस्टे का संचालन पूरी तरह से आवासीय भवनों और उत्तराखंडी वास्तु व पारंपरिक शैली में होगा। इन्हें मुख्य रूप से ज्ञात और अल्पज्ञात पर्यटक स्थलों, ट्रेक मार्गों और ग्रामीण परिवेश में स्थापित किया जाएगा। इससे गांवों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा। पर्यटन विभाग का कहना है कि नए नियमों के अनुसार होमस्टे में उत्तराखंड की संस्कृति और खान-पान को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही भवन स्वामी का उसी आवास में रहना अनिवार्य होगा, ताकि पर्यटक स्थानीय जीवनशैली का प्रत्यक्ष अनुभव ले सकें। वर्तमान में ऐसे कई होमस्टे संचालित हो रहे हैं जिनके मालिक आवास से बाहर रहते हैं। नई व्यवस्था लागू होने के बाद ऐसे होमस्टे ‘बेड एंड ब्रेकफास्ट योजना’ में तब्दील कर दिए जाएंगे। इस योजना में मकान मालिक को संपत्ति पर रहने की शर्त नहीं होगी और वह इसे पर्यटन विभाग में पंजीकृत कर पर्यटकों को किराये पर उपलब्ध करा सकेगा।