25 दिन बाद गंगोत्री हाईवे खुला, बीआरओ ने मलबा हटाकर बहाल किया संपर्क..
उत्तराखंड: धराली में आई आपदा के करीब 25 दिन बाद आखिरकार गंगोत्री हाईवे को खोल दिया गया है। सीमा सड़क संगठन (BRO) की कड़ी मशक्कत के बाद अब यह मार्ग फोर-बाई-फोर वाहनों के लिए चालू कर दिया गया है। आपदा के दौरान यह सड़क हर्षिल क्षेत्र में बनी झील और भारी मलबे की चपेट में आ गई थी, जिससे मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया था। लंबे समय से बंद हाईवे खुलने से अब गंगोत्री धाम और भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा से जनपद मुख्यालय का संपर्क फिर से स्थापित हो गया है। हाईवे के दुरुस्त होने से अब सेना, आईटीबीपी और स्थानीय वाहनों की आवाजाही संभव हो सकेगी।
यह मार्ग सामरिक दृष्टि से भी बेहद अहम माना जाता है क्योंकि यह सीमा क्षेत्रों तक पहुंच का प्रमुख साधन है। BRO ने लगातार कई दिनों तक मलबा हटाने, सड़क दुरुस्त करने और झील के पानी का बहाव नियंत्रित करने का काम किया। अधिकारियों ने कहा कि मौसम और दुर्गम भू-भाग के कारण काम में काफी चुनौतियाँ आईं, लेकिन आखिरकार मार्ग खोलने में सफलता मिल गई। अब यात्रियों और स्थानीय लोगों को भी बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि गंगोत्री धाम आने-जाने का रास्ता बहाल हो गया है। प्रशासन ने फिलहाल केवल फोर-बाई-फोर वाहनों की अनुमति दी है और धीरे-धीरे मार्ग को सामान्य यातायात के लिए भी खोलने की तैयारी की जा रही है।
धराली आपदा के बाद गंगनानी से लेकर गंगोत्री धाम और भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा तक का संपर्क पूरी तरह टूट गया था। सड़क बाधित होने से न सिर्फ स्थानीय लोगों को बल्कि सेना और आईटीबीपी जैसी सुरक्षा एजेंसियों को भी बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। सीमा सड़क संगठन (BRO) ने अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर राहत और पुनर्निर्माण कार्य में तेजी दिखाई। गंगनानी में बैली ब्रिज का निर्माण किया गया, जबकि डबरानी, सोनगाड और धराली में हाईवे को चरणबद्ध तरीके से बहाल किया गया। सबसे बड़ी कठिनाई हर्षिल में सामने आई, जहां हाईवे का करीब 200 मीटर हिस्सा झील में पूरी तरह डूब गया था, जबकि 100 मीटर सड़क भारी मलबे के नीचे दब गई थी। इस कारण BRO की टीमों को कई दिनों तक लगातार कड़ी मेहनत करनी पड़ी। BRO अधिकारियों का कहना है कि दुर्गम भूगोल और लगातार बदलते मौसम ने कार्य को और चुनौतीपूर्ण बना दिया, लेकिन आखिरकार हाईवे को फोर-बाई-फोर वाहनों के लिए खोलने में सफलता मिली।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बीआरओ ने सीमा क्षेत्र में काम करने वाली अपनी मशीनों को धराली पहुंचाया। सबसे पहले मलबे को हटाकर रास्ता साफ किया गया। डबरानी की ओर से भी रास्ता खुलने के बाद बीआरओ और सिंचाई विभाग की मशीनें हर्षिल पहुंचीं। सिंचाई विभाग की टीमों ने झील के मुहाने को खोलकर जलस्तर कम करने का काम किया। इसी दौरान बीआरओ की टीम धराली से ट्रकों में मलबा भरकर लाई और उसे झील में डूबी सड़क पर बिछाया। करीब एक सप्ताह की मेहनत के बाद इस सड़क को यातायात के लिए सुरक्षित बनाया गया। हर्षिल में हाईवे को फोर-बाई-फोर वाहनों के लिए खोल दिया गया है। ट्रायल के तौर पर सबसे पहले बीआरओ के एक विभागीय वाहन को सफलतापूर्वक पार कराया गया। इस बहाली से गंगोत्री धाम के लिए राहत और रसद पहुंचाने के साथ-साथ सीमा सुरक्षा में भी मदद मिलेगी।
कई स्थानों पर बंद रहे गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे..
गुरुवार देर रात से शुक्रवार दोपहर तक हुई लगातार बारिश ने चारधाम यात्रा मार्ग पर बड़ी चुनौती खड़ी कर दी। गंगोत्री और यमुनोत्री हाईवे कई स्थानों पर बंद हो गए, जिससे यातायात बाधित हो गया। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) और राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) विभाग की टीमों को मार्ग खोलने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। लगातार बारिश और मलबे के कारण कई घंटे तक रास्ते अवरुद्ध रहे। शुक्रवार दोपहर तक गंगोत्री हाईवे को नलूणा, बिशनपुर और नेताला में सफलतापूर्वक बहाल कर दिया गया, जिसके बाद वाहनों की आवाजाही फिर से शुरू हो सकी। इसी दौरान बाल कंडार मंदिर के पास हाईवे का करीब 70 मीटर हिस्सा बह गया। मार्ग को स्थायी रूप से दुरुस्त करने के लिए वहां वायरक्रेट की दीवार बनाई जा रही है।
अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इस हिस्से को भी सुरक्षित कर दिया जाएगा। हाईवे खुलने से चारधाम यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली। प्रशासन ने यात्रियों से अपील की है कि वे मौसम की स्थिति देखकर ही यात्रा पर निकलें और सावधानी बरतें। गुरुवार देर रात से हुई तेज बारिश का असर यमुनोत्री हाईवे पर भी देखने को मिला। कल्याणी, महरगांव, डाबरकोट, सिलाई बैंड, जंगलचट्टी, बनास और नारदचट्टी में मलबा और बोल्डर आने से मार्ग अवरुद्ध हो गया। BRO और एनएच विभाग की टीमों ने मशीनरी लगाकर युद्धस्तर पर काम किया। दोपहर तक कल्याणी, महरगांव, डाबरकोट और सिलाई बैंड में सड़क से मलबा हटा लिया गया और यातायात बहाल कर दिया गया। बारिश होने के कारण नदी-नालों के उफान पर आने से स्थानीय लोगों में डर और दहशत का माहौल बना रहा।