भारी बारिश से बिजली उत्पादन पर असर, चार परियोजनाएं बंद, 679 मेगावाट की आपूर्ति रुकी..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश का असर अब बिजली उत्पादन पर भी दिखने लगा है। बुधवार देर रात से नदियों में गाद बढ़ने के कारण राज्य की चार प्रमुख जल विद्युत परियोजनाओं को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा, जिससे अचानक रात में बिजली संकट उत्पन्न हो गया। यूपीसीएल (उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड) के अनुसार बृहस्पतिवार रात 12 बजे से 2 बजे तक छिबरो और खोदरी जल विद्युत परियोजनाएं बंद रहीं। छिबरो परियोजना से 200 मेगावाट और खोदरी से 90 मेगावाट बिजली उत्पादन होता है। इसी तरह धरासूं परियोजना रात 12 बजे से सुबह 7:30 बजे तक और मनेरी परियोजना रात 12 बजे से सुबह 8:30 बजे तक बंद रही।
धरासूं से 299 मेगावाट और मनेरी से 90 मेगावाट बिजली की आपूर्ति होती है। हालांकि यूपीसीएल प्रबंधन ने अन्य स्रोतों से बिजली की व्यवस्था कर आपूर्ति को स्थिर बनाए रखने का प्रयास किया, लेकिन अचानक आई इस बाधा ने प्रदेश की विद्युत प्रणाली को कुछ समय के लिए प्रभावित किया। आपको बता दे कि बरसात के मौसम में नदियों में गाद और मलबे की मात्रा बढ़ने से जल विद्युत परियोजनाओं के टरबाइन प्रभावित होते हैं, जिससे उन्हें बंद करना मजबूरी बन जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर बारिश का यही क्रम जारी रहा, तो आने वाले दिनों में भी बिजली उत्पादन में रुकावटें आ सकती हैं।
उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश का असर अब जल विद्युत उत्पादन पर भी साफ नजर आने लगा है। बुधवार रात 12 बजे के बाद नदियों में अचानक बढ़ी गाद (सिल्ट) की मात्रा के कारण राज्य की चार प्रमुख जल विद्युत परियोजनाएं बंद करनी पड़ीं, जिससे यूपीसीएल को 679 मेगावाट बिजली की आपूर्ति अचानक बंद हो गई। बंद की गई परियोजनाओं में छिबरो, खोदरी, धरासूं और मनेरी शामिल हैं। इन परियोजनाओं से यूपीसीएल को रात के समय भारी मात्रा में बिजली मिलती है। हालांकि यूपीसीएल ने स्थिति को देखते हुए तत्काल वैकल्पिक स्रोतों से बिजली की व्यवस्था की और किसी भी क्षेत्र में बिजली कटौती नहीं की गई।
यूपीसीएल के निदेशक परियोजना अजय अग्रवाल ने बताया कि बारिश के कारण नदियों में अचानक सिल्ट की मात्रा बढ़ गई, जिसके चलते यूजेवीएनएल (उत्तराखंड जल विद्युत निगम) ने अपनी मशीनों को सुरक्षा के लिहाज से अस्थायी रूप से बंद कर दिया। सिल्ट की मात्रा कम होते ही बिजली उत्पादन दोबारा शुरू कर दिया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह एक सामान्य एहतियाती प्रक्रिया है, जिससे मशीनों को नुकसान से बचाया जाता है। आने वाले दिनों में मौसम की स्थिति के अनुसार परियोजनाओं के संचालन में लचीलापन रखा जाएगा। उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में प्राकृतिक परिस्थितियों के कारण जल विद्युत परियोजनाएं अक्सर प्रभावित होती हैं, और इस बार की बारिश ने बिजली उत्पादन पर भी सीधा असर डाला है।