उत्तराखंड की पंचायतों में फिर प्रशासक नियुक्त करने की तैयारी, सरकार लाएगी नया अध्यादेश..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों की सत्ता एक बार फिर प्रशासकों के हाथों में सौंपी जाने वाली है। राज्य सरकार आगामी 15 दिनों के भीतर एक अध्यादेश लाकर त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति का रास्ता साफ करने की तैयारी में है। यह कदम इसलिए जरूरी हो गया है क्योंकि निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त होने वाला है और नए पंचायत चुनावों की अधिसूचना फिलहाल लंबित है। ऐसे में प्रशासनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पंचायतों की बागडोर अस्थायी रूप से प्रशासकों को सौंपी जाएगी। प्रशासक के रूप में वही निवर्तमान प्रधान, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष कार्य करेंगे, जिन्हें कार्यकाल समाप्ति के बाद छह महीने या चुनाव सम्पन्न होने तक के लिए नियुक्त किया जाएगा। इससे पहले भी पंचायत चुनावों में देरी की स्थिति में राज्य सरकार इसी प्रकार की व्यवस्था अपना चुकी है। हालांकि इस बार विपक्ष इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विलंब बताते हुए सरकार से शीघ्र चुनाव कराने की मांग कर सकता है।
त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था एक बार फिर प्रशासकों के हवाले होने जा रही है। हरिद्वार को छोड़कर राज्य की 343 जिला पंचायतें, 2936 क्षेत्र पंचायतें और 7505 ग्राम पंचायतें इस समय ऐसी स्थिति में हैं, जिनका पांच साल का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, लेकिन अभी तक चुनाव कराए नहीं जा सके हैं।ऐसे में अगले 15 दिन में चुनाव कराना संभव नहीं है। जिसे देखते हुए अगले छह महीने या चुनाव होने तक जो भी पहले हो एक बार फिर पंचायतें प्रशासकों के हवाले होंगी। इसके लिए सरकार अध्यादेश लाएगी। बता दे कि चुनाव न हो पाने के कारण राज्य सरकार ने अस्थायी तौर पर निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशासक नियुक्त किया था, जिनका कार्यकाल 27 मई (ग्राम पंचायत), 29 मई (क्षेत्र पंचायत प्रमुख), और 1 जून (जिला पंचायत) को समाप्त होने जा रहा है। ऐसे में सरकार एक बार फिर अध्यादेश के माध्यम से प्रशासकों की पुनः नियुक्ति का रास्ता तलाश रही है। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही अध्यादेश लाकर इन्हीं निवर्तमान प्रतिनिधियों को पुनः प्रशासक नियुक्त करेगी। जब तक कि चुनाव सम्पन्न नहीं हो जाते या अगले छह महीने तक।
एक्ट में यह है व्यवस्था..
पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा के अनुसार, यदि पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका हो और चुनाव नहीं हो पाए हों, तो सरकार अधिकतम छह माह तक प्रशासक नियुक्त कर सकती है। यह अवधि अब समाप्ति की कगार पर है। राज्य की अधिकांश ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों में पूर्व प्रतिनिधियों को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया गया था, जिनका कार्यकाल अब 27 मई से 1 जून के बीच समाप्त हो रहा है। चुनाव प्रक्रिया में अभी विलंब है, ऐसे में सरकार एक बार फिर नए अध्यादेश के ज़रिए प्रशासकों की नियुक्ति करने की योजना बना रही है। सूत्रों के अनुसार, अध्यादेश के माध्यम से सरकार को यह अधिकार प्राप्त होगा कि वह या तो पूर्व प्रशासकों का कार्यकाल आगे बढ़ाए या नई नियुक्ति करे, ताकि स्थानीय प्रशासन और विकास कार्यों में कोई बाधा न आए।
फिर बनेंगे प्रशासक या कोई अन्य..
सरकार ने वर्तमान में निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को पंचायतों में प्रशासक बनाया है। अधिकारियों के अनुसार कार्यकाल निर्वाचित व चयनित का बढ़ता है, वर्तमान पंचायत प्रतिनिधि न चयनित हैं न निर्वाचित हैं। जो नामित हैं। जिनका कार्यकाल नहीं बढ़ाया जा सकता, लेकिन यह हो सकता है कि इन्हें फिर से प्रशासक बनाया जाए या फिर किसी अन्य को सरकार प्रशासक बना सकती है।