शिक्षा विभाग में जल्द शुरू होगी 9500 पदों पर भर्ती, चतुर्थ श्रेणी से होगी शुरुआत..
उत्तराखंड: उत्तराखंड के युवाओं के लिए नौकरी का बड़ा अवसर सामने आने वाला है। राज्य में लंबे समय से प्रतीक्षित शिक्षा विभाग की भर्ती प्रक्रिया अब तेजी पकड़ने जा रही है। शिक्षक दिवस पर शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने जिस घोषणा का ऐलान किया था, वह अब हकीकत बनने जा रही है। शिक्षा मंत्री ने हाल ही में स्पष्ट किया कि विद्यालयी शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर रिक्त पदों को भरा जाएगा। फिलहाल प्रथम चरण में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती शुरू होगी। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, विभिन्न कार्यालयों और विद्यालयों में लंबे समय से खाली पड़े 2,364 पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाएगा। मंत्री ने कहा कि सभी पदों को आउटसोर्स के माध्यम से भरा जाएगा और इसमें स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, कार्मिकों की जल्द तैनाती सुनिश्चित करने के लिए विभागीय अधिकारियों को भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने यह भी बताया कि चरणबद्ध तरीके से आगे अन्य रिक्त पदों को भी भरा जाएगा। कुल मिलाकर, शिक्षा विभाग में लगभग 9,500 पदों पर भर्ती की जानी है, जो प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार की बड़ी सौगात साबित होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इन भर्तियों से न केवल शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली मजबूत होगी, बल्कि स्कूलों और दफ्तरों में लंबे समय से महसूस हो रही जनशक्ति की कमी भी दूर होगी।
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का जो बयान जारी हुआ है, उसमें बताया गया है कि राज्य सरकार शिक्षा विभाग में बुनियादी ढांचे के साथ ही मानव संसाधन उपलब्ध कराने में जुटी हुई है। इसी कड़ी में राज्य सरकार ने विभाग के अलग-अलग कार्यालयों और विद्यालयों में सृजित चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों के खाली पदों (मृत संवर्ग) को आउटसोर्स के पदों में परिवर्तित करने की मंजूरी दे दी है। इसका शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। धन सिंह रावत के अनुसार महानिदेशालय कार्यालय, निदेशालय माध्यमिक शिक्षा, प्राथमिक शिक्षा और अकादमिक शोध समेत एससीईआरटी, बोर्ड कार्यालय रामनगर मंडलीय, अपर गढ़वाल और कुमाऊं के प्राथमिक और माध्यमिक मंडलीय अपर निदेशक कार्यालय, सभी डायट, मुख्य शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी व बेसिक कार्यालय में कुल 334 फोर्थ क्लास के पदों को आउटसोर्स में परिवर्तित कर दिया गया है।
इसी तरह हजार छात्र संख्या से अधिक हर इंटर कॉलेज में परिचारक के दो, सफाई कर्मी और सह चौकीदार के एक पद को आउटसोर्स के पदों में परिवर्तित किया गया है। 500 से 1000 छात्र संख्या वाले इंटर कॉलेजों में एक-एक परिचारक और चौकीदार के पद होंगे। इसी तरह 500 छात्र संख्या से नीचे के इंटर कॉलेज और हाई स्कूलों में एक-एक चौकीदार के पद आउटसोर्स से भरने के लिए स्वीकृत कर दिए गए हैं। इसके साथ ही ऐसे नए उच्चीकृत स्कूल जिनमें चतुर्थ श्रेणी व सफाई कर्मी के पद सृजित नहीं हैं, वहां भी चौकीदार का एक पद आउट सोर्स के तहत स्वीकृत किया गया है। 2,364 में से राजकीय विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी के 2023 पदों को आउटसोर्स के पदों में परिवर्तित किया गया है। धन सिंह रावत ने कहा कि चतुर्थ श्रेणी के जिन पदों को भरा जा रहा है, उनमें स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्हें हर महीने 15,000 रुपए का वेतन दिया जाएगा। नियुक्तियों में आरक्षण नियमों का पूरी तरह से पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
मृत संवर्ग क्या होता है? मृत संवर्ग का मतलब है एक ऐसा कर्मचारी संवर्ग (पद समूह) जिसे सरकारी नियमों के तहत समाप्त कर दिया गया है, और उस संवर्ग में अब किसी भी व्यक्ति की नई नियुक्ति नहीं की जा सकती है। जब किसी विशेष पद या सेवा के संवर्ग को “मृत” घोषित किया जाता है, तो इसका मतलब है कि भविष्य में उस पद पर कोई नई भर्ती या नियुक्ति नहीं की जाएगी। यानी शासन ने जिन पदों को नि:संवर्गीय घोषित कर दिया था, अब शिक्षा विभाग के चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों के 2,364 रिक्त पदों को आउटसोर्स में परिवर्तित कर दिया गया है। इन पदों के भरने से न सिर्फ शिक्षा विभाग में मैन पावर की कमी पूरी होगी, बल्कि स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी और उन्हें रोजगार के अवसर सृजित होंगे। राज्य सरकार के प्रयासों से शिक्षा विभाग में लंबे समय से खाली चल रहे इन पदों को भरने से मानव संसाधन उपलब्ध हो पाएगा।