नैनी सैनी हवाई अड्डे का अधिग्रहण करेगा भारतीय विमानन प्राधिकरण..
उत्तराखंड: पिथौरागढ़ के नैनी सैनी हवाई अड्डे का संचालन और रखरखाव के लिए भारतीय विमानन प्राधिकरण अधिग्रहण करेगा। जिससे हवाई अड्डे का विस्तार होने से यहां पर बड़े विमानों की आवाजाही शुरू हो सकेगी। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस संबंध में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को पत्र भेज कर अवगत कराया है।
कैबिनेट मंत्री महाराज ने केंद्रीय मंत्री को 18 नवंबर को पत्र लिख कर पिथौरागढ़ के नैनी सैनी, चमोली जिले के गौचर और उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौंड हवाई अड्डे को भारतीय विमानन प्राधिकरण के अधीन लाने का मामला उठाया था। इसके अलावा जौलीग्रांट एयरपोर्ट के नवनिर्मित टर्मिनल के उद्घाटन अवसर पर महाराज ने इस मामले को केंद्रीय मंत्री के समक्ष रखा था।
आपको बता दे कि केंद्रीय मंत्री ने महाराज को पत्र भेज कर अवगत कराया कि नैनी सैनी हवाई अड्डे का अधिग्रहण कर भारतीय विमानन प्राधिकरण संचालन और रखरखाव को अपने हाथों में ले सकता है। गौचर और चिन्यालीसौंड हवाई अड्डों के पास सीमित भूमि है। जिससे दोनों हवाई अड्डों के विकास की गुंजाइश कम है।
दोनों की हवाई अड्डों का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है। महाराज का कहना है कि नैनी सैनी हवाई अड्डा भारतीय विमानन प्राधिकरण अधीन होने से अवस्थापना विकास के साथ विस्तार हो सकेगा। जिससे नैनी सैनी के लिए ज्यादा सीटर विमानों आवाजाही बढ़ेगी। इससे पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों को हवाई सेवाओं का लाभ मिलेगा।
लखवाड़ बहुउद्देश्यीय परियोजना को केंद्र सरकार की मंजूरी..
वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लखवाड़ बहुउद्देश्यीय जल विद्युत परियोजना को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राष्ट्रीय महत्व की परियोजना जल्द पूरी होगी। वर्षों से लंबित इस परियोजना पर प्रधानमंत्री की इच्छाशक्ति से राष्ट्र हित में निर्णय लिया गया। 90 प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण की इस परियोजना से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान राज्य लाभान्वित होंगे।
इससे इन सभी राज्यों को पानी की आपूर्ति हो सकेगी। परियोजना के जल घटक का लाभ छह राज्यों को मिलेगा तथा विद्युत घटक का लाभ उत्तराखंड को मिलेगा। जलघटक का 90 प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा अनुदान सहायता के रूप में दिया जाएगा।