उत्तराखण्ड के इस गांव ने लिया वोट न देने का संकल्प. जानिए वजह
उत्तराखंड चुनाव 2022 वोट न देने का संकल्प लेकर गांव किया खाली जानिए क्या है वजह
उत्तराखण्डः 05 साल में आने वाले चुनाव किसी त्यौहार से कम नहीं होता है परन्तु कई मुद्दों की वजह से लोग इस त्यौहार को मनाना ही पसंद नहीं करते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तराखण्ड के एक ऐसे गांव की जिसने विधानसभा चुनाव 2022 में वोट न देने का संकल्प लिया है। हर वोटर अपना नेता किसी उम्मीद के साथ चुनता है परन्तु चुनाव जीतने के बाद ही जनप्रतिनिधि जब जनता से मुंह मोड ले तो जनता भी क्या करेगी।
कौन सा गांव है जो करेगा विधानसभा चुनाव 2022 का विरोध
चुनावों में किए गए अच्छे तमाम वादों यथा स्कूल, स्वास्थ्य, बिजली और पानी की आधारभूत सुविधाओं के पूरे न होने पर नैनीताल जिले में मझेड़ा गांव के किमु तोक के आखिरी परिवार ने भी गांव छोड़ दिया। चंद्र भूषण पंत का परिवार हल्द्वानी चला गया। परिवार का कहना है कि जब जिंदगी की हर समस्या हमें खुद हल करनी है तो नेताओं को वोट देने का कोई फायदा नहीं। इसलिए अब कभी मतदान नहीं करेंगे। मझेड़ा गांव अल्मोड़ा हाईवे पर स्थित गरमपानी से मात्र तीन किलोमीटर ऊपर पहाड़ी पर स्थित है, जहां आज भी पानी, सड़क जैसी सुविधाओं का इंतजार है।
रामलीला भी बंद गरमपानी क्षेत्र की सबसे प्राचीन तथा प्रसिद्ध रामलीला मझेड़ा गांव में होती थी। यहां करीब सौ सालों से लगातार आयोजन हो रहा था। पर पलायन के कारण गांव में रामलीला करने वाले कलाकार ही नहीं बचे। मझेड़ा ग्राम बेतालघाट ब्लॉक की उन शीर्ष.10 ग्राम सभाओं में शामिल है, जहां विकास के लिए हर साल दस लाख का बजट जारी होता है लेकिन गांव में मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। प्रधान भास्कर चंद का कहना है कि कई बार प्रयास के बाद भी पलायन रोकने में सफल नहीं हो पाते। चंद्र भूषण पंत कहते हैं कि उनका घर गांव के बीच में हैए जहां चारों ओर जंगल है। उनके घर के लिए आज तक न रास्ता बन सका और न ही पानी की कोई व्यवस्था है। सुबह दूर जाकर पानी लाना पड़ता है। बीमारी और बुढ़ापे में यह तकलीफदेह है। इसलिए मजबूरी में गांव छोड़ने को मजबूर हैं