केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत के ये रहे फैक्टर..
उत्तराखंड: भारतीय जनता पार्टी बीजेपी ने उत्तराखंड का केदारनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव जीत लिया हैं। उत्तराखंड के केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजों ने सभी को चौंका दिया है। हालांकि, राजनीतिक पार्टियों जहां एक ओर अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत का दम भर रही थीं, तो वहीं नतीजे सामने आने के बाद अब राजनीतिक पार्टियां चुनाव का विश्लेषण करने पर जोर दे रही हैं। मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद धामी सरकार के नेतृत्व में भाजपा ने केदारनाथ उपचुनाव को भारी बहुमत से जीत लिया है। भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल केदारनाथ उपचुनाव में बड़े अंतर से विजयी हुई हैं। ऐसे में भाजपा के उपचुनाव जीतने के क्या रहे हैं महत्वपूर्ण फैक्टर?
केदार घाटी में धार्मिक और मुस्लिम फैक्टर.
उत्तराखंड राज्य में धार्मिक और मुस्लिम फैक्टर का काफी असर देखा जा रहा है। हालांकि केदारनाथ विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ना के बराबर है। बावजूद इसके प्रदेश के तमाम हिस्सों में मुस्लिम फैक्टर का असर केदारनाथ विधानसभा सीट पर भी देखने को मिला है। यही वजह रही कि केदारनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा को धार्मिक और मुस्लिम फैक्टर की वजह से काफी फायदा मिला है।
उपचुनाव से पहले धामी सरकार की तमाम बड़ी सौगातें..
केदारनाथ उपचुनाव की तिथियां का ऐलान होने से पहले ही धामी सरकार ने केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के लिए सौगातों का पिटारा खोल दिया था। 31 जुलाई को केदार घाटी में आई आपदा की वजह से करीब एक महीने तक केदारनाथ यात्रा प्रभावित रही थी। जिसके चलते धाम में सरकार ने स्थानीय व्यापारियों और लोगों को राहत पहुंचाने के लिए न सिर्फ पैकेज दिया, बल्कि केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए तमाम योजनाओं को मंजूरी देते हुए वित्तीय स्वीकृति भी दी। ऐसे में भाजपा को केदारनाथ विधानसभा सीट पर मिली जीत में एक फैक्टर धामी सरकार की ओर से दी गई सौगातें और घोषणाएं भी मानी जा रही हैं।
केदारनाथ उपचुनाव में सरकार की मुस्तैदी..
केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान सरकार की काफी अधिक मुस्तादी क्षेत्र में देखने को मिली। बता दे कि मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा को मिली करारी हार के बाद भाजपा केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव को हारना नहीं चाहती थी। यही वजह थी कि भाजपा संगठन ने केदारनाथ उपचुनाव में न केवल पांच मंत्रियों को चुनाव की जिम्मेदारी दी, बल्कि तमाम नेताओं को भी धरातल पर काम करने के लिए भेजा।ताकि केदारनाथ उपचुनाव को हर हाल में बीजेपी जीत सके. कुल मिलाकर केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में सरकार की मुस्तैदी का असर रहा कि भाजपा ने केदारनाथ उपचुनाव को भारी बहुमत से जीत लिया है।
बता दे कि उत्तराखंड राज्य गठन के बाद इस साल जुलाई से पहले तक रूलिंग पार्टी का ही उपचुनाव को जीतने का रिकॉर्ड था। लेकिन जुलाई में हुए मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव में रूलिंग पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। यही नहीं, इससे पहले भी एक दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे रूलिंग पार्टी के अपोजिट दिखाई दिए। हालांकि केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में रूलिंग पार्टी के चुनाव जीतने का फैक्टर देखने को मिला।दरअसल रूलिंग पार्टी के चुनाव जीतने से एक बड़ा फायदा यही होता है कि उस क्षेत्र में विकास के कार्य की गति और अधिक तेज हो जाती है।
पीएम मोदी की आस्था और विकास कार्यों पर सक्रियता
केदारनाथ धाम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आस्था जुड़ी हुई है। यह बात केदार घाटी की जनता बखूबी जानती है. साल 2013 में केदार घाटी में आई भीषण आपदा के बाद केदार घाटी में पुनर्निर्माण के कार्यों को तेज गति से किया गया था। इसके साथ ही साल 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद न सिर्फ केदार घाटी के लिए भारत सरकार ने कई बड़ी सौगातें दी हैं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद समय-समय पर केदार घाटी में चल रहे विकास कार्यों का निरीक्षण भी करते रहे हैं। यही वजह रही कि उपचुनाव के दौरान भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बाबा केदार में आस्था और विकास कार्यों के प्रति सक्रियता को भी एक बड़ा मुद्दा बनाया, जिसका असर केदार घाटी में देखने को मिला।
भाजपा के ब्राह्मण कैंडिडेट का फैक्टर
केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा ने प्रदेश महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाया। जिसका एक बड़ा फैक्टर यह था कि आशा नौटियाल ब्राह्मण हैं और केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में बड़ी तादाद में ब्राह्मण हैं। ऐसे में ब्राह्मण जाति के लोगों को टारगेट करने के लिए भाजपा का यह फार्मूला कामयाब हो गया। यही नहीं इस उपचुनाव के दौरान धार्मिक फैक्टर की वजह से ब्राह्मण जाति के लोग न सिर्फ एकजुट हो गए, बल्कि आशा नौटियाल के प्रत्याशी बनने की वजह से भी ब्राह्मण जाति के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाजपा को अपना समर्थन दिया।
निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन ने कांग्रेस के मतदाताओं में लगाई सेंध
केदारनाथ उपचुनाव में एक बड़ा फैक्टर ये भी रहा कि जहां एक ओर भाजपा को अपने कैडर वोटरों का वोट तो मिला ही, वहीं धार्मिक मुद्दों की वजह से भाजपा को ब्राह्मण, ठाकुर और एससी/ एसटी जाति के लोगों का वोट भी मिला है। जबकि कांग्रेस का मतदाता बंटता दिखाई दिया। इसकी मुख्य वजह निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन सिंह का चुनावी मैदान में खड़ा होना था। कांग्रेस का वोट बंटने की वजह से भाजपा को चुनाव जीतने में एक और बड़ा फायदा मिला। इसका नतीजा रहा कि भाजपा केदारनाथ उपचुनाव को जीत गई।