योग और संस्कृत में कॅरिअर तलाश रहे विदेशी छात्र..
देश-विदेश: योग और संस्कृत को भारतीय छात्र-छात्राएं भले ही अंग्रेजी की तुलना में कमतर आंकते हैं, लेकिन विदेशी छात्रों में इनका क्रेज बढ़ रहा है। जर्मनी और चीन समेत कई देशों के छात्र संस्कृत व योग में कॅरिअर की संभावनाएं तलाश रहे हैं। योग और संस्कृत की डिग्री लेने के लिए भारत पढ़ने आ रहे हैं। शांतिकुंज परिवार का हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय भी विदेशी छात्रों की पाठशाला बना है। देव संस्कृत विवि से अब तक 151 विदेशी छात्र डिग्री ले चुके हैं।
संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है। ऐसा माना जाता है कि दुनिया की तमाम भाषाएं कहीं न कहीं संस्कृत से ही निकली हैं। संस्कृत ईसा से 5000 साल पहले से बोली जाती है। इसी तरह योग ऋषि मुनियों की देन है। नियमित योग करने से शारीरिक एवं मानसिक विकारों से छुटकारा मिलता है।
दुनियाभर में योग के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। भागदौड़ की जिंदगी में स्वस्थ रहने के लिए लोग योग को अपना रहे हैं। 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा है। बावजूद इसके भारतीय छात्र एवं छात्राएं योग और संस्कृत को अंग्रेजी की तुलना में कमतर आंकते हैं। लेकिन विदेशी छात्र एवं छात्राएं संस्कृत और योग में कॅरिअर बना रहे हैं।
2002 में हुई थी विश्वविद्यालय की स्थापना
देव संस्कृति विवि के पत्रकारिता विभाग के असिस्टेंट प्रो. दीपक कुमार बताते हैं कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय की स्थापना 2002 में हुई थी। विश्वविद्यालय में विधिवत दीक्षांत समारोह की शुरुआत 2017 से हुई। 2017 से 2021 तक 151 छात्रों ने यहां शिक्षा ग्रहण की है।
देव संस्कृति विवि में जर्मनी, चीन, यूके, यूएस, रूस, वियतनाम, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और अफ्रिका का नाटिबिया समेत कई देशों के छात्र पढ़ने आ रहे हैं। 151 में से 90 फीसदी छात्र-छात्राओं ने योग की डिग्री ली है। जबकि पड़ोसी मुल्कों के छात्र संस्कृत की पढ़ाई करने आ रहे हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर बताते हैं डिग्री लेते ही विदेशों में योग सीखाते हैं। इसमें युवा अपना कॅरिअर बना रहे हैं। योग में पीएचडी, स्नातक, मास्टर डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के अलग-अलग कोर्स कर रहे हैं।