प्रशांत किशोर ने बताया, क्यों ठुकरा दिया कांग्रेस जॉइन करने का ऑफर..
कमियां भी बताईं..
देश – विदेश : देश के सबसे चर्चित और सफल चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों पर विराम लग गया है। उन्होंने कांग्रेस जॉइन करने से मना कर दिया। मंगलवार को उन्होंने खुद इसकी जानकारी एक ट्वीट के जरिए दी है। वहीं कांग्रेस की तरफ से भी बताया गया है कि प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के ऑफर को ठुकरा दिया है और वह पार्टी में नहीं शामिल हो रहे हैं।
दरअसल, प्रशांत किशोर ने ट्वीट में लिखा कि मैंने एम्पावर्ड ऐक्शन ग्रुप (ईएजी) के हिस्से के रूप में पार्टी में शामिल होने और चुनावों की जिम्मेदारी लेने के कांग्रेस के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। मेरी विनम्र राय है कि पार्टी को मुझसे ज्यादा उसे नेतृत्व और सुधारों के साथ सांगठनिक समस्याओं को दूर करने के लिए सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है।
जाते-जाते कमियां भी बता गए प्रशांत किशोर..
पिछले कई दिनों से कांग्रेस में गहमागहमी चल रही थी और यह तय माना जा रहा था कि जल्द ही पीके कांग्रेस जॉइन कर लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। विषेशज्ञों का मानना है कि कांग्रेस के ऑफर को ठुकराते समय प्रशांत किशोर पार्टी की कमियां भी बता गए। पीके का मानना है कि कांग्रेस में अभी बहुत ही ज्यादा सुधार की आवश्यकता है। यहां तक कि वह खुद इसके लिए अपने आप को कम मान रहे हैं। उनका मानना है कि पार्टी में नेतृत्व के अलावा बहुत कमियां हैं जिन्हें ठीक करने की जरूरत है।
कांग्रेस ने प्रशांत किशोर के सुझाव की तारीफ की..
इससे पहले कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट करके कहा कि प्रशांत किशोर के साथ बैठक और चर्चा के बाद, कांग्रेस अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए एक समिति का गठन किया था। प्रशांत किशोर को इस समिति के सदस्य के रूप में पार्टी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। सुरजेवाला ने आगे कहा कि हम पार्टी को दिए गए उनके प्रयासों और सुझावों की सराहना करते हैं।
प्रशांत किशोर ने तैयार किया था प्रजेंटेशन..
कई दिनों से प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा गर्म थी। इतना ही नहीं हाल ही में प्रशांत किशोर ने 2024 के आम चुनाव को लेकर कांग्रेस नेतृत्व के सामने एक प्रजेंटेशन भी पेश किया था। इसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक समिति बनाई थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी और सोनिया गांधी को इस पर अंतिम फैसला करना था। फिलहाल पीके पर अब सस्पेंस खत्म हो गया है।