जब रतन टाटा ने Ford Motors की सबसे लोकप्रिय जैगुआर और लैंड रोवर ब्रांड को ख़रीदा..
देश-विदेश: रतन टाटा न केवल भारत बल्कि दुनियाभर के कारोबारियों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं।आजादी के पहले से शुरू हुए रतन टाटा को आसामान की बुलंदियों तक पहुंचाने वाले रतन टाटा की दरियादिली के लोग कायल हैं। 28 दिसंबर 2022 को देश के ये दिग्गज उद्योगपति 85 साल के हो गए है, तप आइए बताते हैं आपको रतन टाटा से जुड़े कुछ ऐसे किस्से जो उनके व्यक्तित्व को और अधिक उभारकर आपके सामने रख देंगे।
1. सबसे पहले एक सवाल जो कई लोगों के मन में होगा की आखिर 3,500 करोड़ की networth होने के बावजूद भी रतन टाटा देश के सबसे अमीर व्यक्तियों की गिनती में 433 वीं रैंक पर क्यों आते है, दरसल इसके पीछे का कारण उनकी दरयादिली है, क्योंकि टाटा संस के प्रॉफिट का 66% शेयर चैरिटी में जाता है, जो की स्वास्थ्य, शिक्षा, ngo आदि में दी जाती है।
2. कहते हैं कि सच्चा प्यार एक बार ही होता है और उसके बाद उस तरह का एहसास हो पाना नामुमकिन जैसा होता है। और रतन टाटा पर तो बात एकदम सटीक बैठती है, ऐसा हम इसलिए कह रह है क्योंकि कई लोगों का यह सवाल था अरबपति होने के बावजूद रतन टाटा क्यों कुंवारे रह गए। टाटा ने आज तक शादी नहीं की क्योंकि उन्होंने अपनी यंग ऐज में जिस लड़की से प्यार किया था, उससे वह शादी नहीं कर पाए। उसके बाद उन्होंने कभी प्यार की तलाश नहीं की। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी उनकी पैतृक विरासत ‘द टाटा ग्रुप’ को समर्पित कर दी।
3.अब जब हमने आपको बता ही दिया है की रतन टाटा कुंवारें है और साफ़ है की उनका को परिवार भी नही है तो ऐसे में आपके मन में यह सवाल ज़रूर जगा होगा की, टाटा संस की अरबों के कारोबार को आगे कौन संभालेगा? तो चलिए आपको बताते है, सूत्रों की माने तो रतन टाटा इस समय शांतनु नायडू के काफी करीब है , कई लोग तो शांतनु को रतन टाटा का राईट हैण्ड भी कहते है, ये वही शंतानु नायडू है जिसके स्टार्ट अप गुड फेलोज में देश के सबसे सम्मानित उद्योगपति रतन टाटा ने निवेश किया है। शांतनु और रतन टाटा की काफी तस्वीरें भी अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होती है, तो फ़िलहाल सभी के यही कयास है की रतन टाटा अपने कारोबार का उत्तराधिकारी शांतनु को ही बना सकते है।
4. अपमान, बेइज्जती किसी को भी पसंद नही है, और अगर बात टाटा ग्रुप के मालिक यानि रतन टाटा की हो तो बेइज्जती का बदला भी कुछ अलग अंदाज़ में होना ही था. दरअसल, उन्होंने Ford Motors के चेयरमैन से अपने अपमान का बदला बड़े ही दिलचस्प अंदाज में लिया था. ये बात साल, 90 के दशक की है, जब TATA Sons के चेयरमैन रहते हुए रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने अपनी कार टाटा इंडिका तो लॉन्च किया था. लेकिन, टाटा इंडिका को ग्राहकों का खराब रिस्पांस मिलने और लगातार बढ़ते घाटे के चलते ऐसा समय आया कि उन्होंने पैसेंजर कार डिवीजन को बेचने का ही फैसला कर लिया. जब रतन टाटा ने अपने पैसेंजर कार बिजनेस को Ford Motors को बेचने का फैसला किया. तो लग्जरी कार निर्माता कंपनी Ford के चेयरमैन Bill Ford ने उनका मजाक उड़ाया था।फोर्ड ने अपमान करते हुए कहा था, ‘तुम कुछ नहीं जानते, आखिर तुमने पैसेंजर कार डिविजन क्यों शुरू किया? अगर मैं ये सौदा करता हूं तो ये तुम्हारे ऊपर बड़ा एहसान होगा।’ अमेरिका में अपमानित होने के बाद Ratan Tata ने कार डिविजन को बेचने का निर्णय टाल दिया और Bill Ford को ऐसा सबक सिखाया, जिसकी उसने कल्पना नहीं की थी. अथक मेहनत और प्रयास से रतन टाटा की टाटा मोटर्स 2008 को बुलंदियों को चूमने लगी और फिर समय ने भी ऐसा फेर बदला की रतन टाटा का मजाक उड़ाने वाले बिल फोर्ड के नेतृत्व वाली Ford Motors की हालत पतली हो गई, कंपनी नुकसान में चली गई, डूबती फोर्ड कंपनी को उबारने के लिए रतन टाटा आगे आए, लेकिन उनका ये कदम अपने उस अपमान का बदला लेने का एक जोरदार तरीका था, जो फोर्ड चेयरमैन ने किया था, और इस प्रकार रतन टाटा ने Ford Motors की सबसे लोकप्रिय जैगुआर और लैंड रोवर ब्रांड को खरीद डाला।
5. रतन टाटा को दरियादिली या एक खुबसूरत दिल वाला इन्सान यूं ही नहीं कहा जाता इसके पीछे उनके कई किस्से और कहानिया है, ऐसा ही एक किस्सा तब हुआ जब रतन टाटा ने अपने पालतू कुत्ते के चलते किंग चार्ल्स का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड नही लिया, दरअसल टाटा के पालतू जानवर की तबियत ख़राब हो गई थी और उसी की देखभाल करने के लिए वे london के बकिंघम पैलेस अवार्ड सेरेमनी में नही जा सके। तो ये थे रतन टाटा के ज़िन्दगी के वो पहलु जो उन्हें बेहतरीन जीवन और व्यक्तित्व को दर्शाते है।