उत्तराखण्ड की डा0 माधुरी बड़थ्वाल को पद्म सम्मान.
उत्तराखण्डः गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सरकार ने पदम पुरस्कारों का एलान किया जिसमें उत्तराखण्ड की डा0 माधुरी को भी पदम श्री से सम्मानित किये जाएगा। डा0 माधुरी को पदम सम्मान से नवाजे जाने पर उत्तराखण्ड में खुशी की लहर हैं। चलो जानते हैं डा0 माधुरी को क्यों और किस क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए पदम सम्मान से नवाजा गया है।
कौन हैं डा0 माधुरी
उत्तराखण्ड अपनी लोक संस्कृति के लिए देश में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्व है और हमारी लोक संस्कृति को हमारे ही अपनों ने संजौये रखा है जिसमें से डा0 माधुरी बडथ्वाल भी एक हैं। डा0 माधुरी राज्य के लोक संगीत के संरक्षण के निरन्तर प्रयासरत हैं आपकों बता दें कि यमकेश्वर पौड़ी के गांव निवासी डा0 माधुरी बड़थ्वाल आल इंडिया रेडियो नजीबाबाद में पहली महिला संगीतकार रही यहां से उन्होंने लोक संगीत संरक्षण के लिए प्रयास शुरू किया।
डा0 माधुरी आज महिलाओं को पारंपरिक नृत्य, वादन व गायन से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं उन्होंने महिलाओं को लोक गायन का प्रशिक्षण देकर उनके लिए विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सेदारी सुनिश्चित की। उन्होंने महिलाओं को न केवल सिखाया बल्कि उन्हें प्रोफेनशनल की तरह तैयार भी किया। उनके इन प्रयासों से ही विलुप्त हो रही मांगल जैसी पारंपरिक कलाओं को संरक्षण मिला है।
1969 से 1979 तक उन्होंने राजकीय कन्या इंटर कॉलेज लैंसडाउन कोटद्वार में संगीत अध्यापिका के तौर पर सेवा दी। उनके नाम राज्य की पहली गढ़वाली महिला संगीत अध्यापिका और गाइड कैप्टन होने की भी उपलब्धि है। 1979 से 2010 तक सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आकाशवाणी नजीबाबाद में संगीत संयोजिका व निर्देशिका के पद पर अखिल भारतीय स्तर पर भारत की पहली महिला चयनित उत्तराखंड से वह आकाशवाणी स्वर परीक्षा समिति की सदस्य भी रहीं। उन्होंने उतर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला में गुरु शिष्य परंपरा के तहत गुरु पद पर काम किया। संस्कृति विभाग सूचना विभाग और गीत नाट्य अकादमी भारत सरकार की शाखा दून और विवि की क्षेत्रीय परीक्षा समितियों में संगीत व नाट्य कला विशेषज्ञ युवाओं व महिलाओं को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निशुल्क संगीत प्रक्षिशण दिया।