चारधाम यात्रा: उत्तराखंड शासन ने जारी किया नया आदेश, पंजीकृत यात्रियों के नहीं पहुंचने पर दूसरों को मिलेगा दर्शन का मौका
चारधाम दर्शन के लिए राज्य और बाहरी क्षेत्रों के कई तीर्थ यात्री पंजीकरण करवाने और ईपास हासिल करने के बाद भी नहीं पहुंच रहे हैं। अब तय किया गया है कि ई-पास वाले यात्रियों के नहीं पहुंचने पर उनकी जगह दूसरे पंजीकृत यात्रियों को चार धामों में दर्शन की अनुमति दी जाएगी। लेकिन यात्रियों की संख्या प्रतिदिन तय की गई संख्या से ज्यादा नहीं होगी।
हाईकोर्ट की ओर से रोक हटाने के बाद प्रदेश सरकार ने 18 सितंबर से बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम की यात्रा शुरू की। यात्रा को कोविड नियमों और कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार संचालित करने के लिए सरकार ने मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर प्रतिदिन दर्शन करने के लिए यात्रियों की संख्या तय की है।
राज्य और बाहर से आने वाले यात्रियों को चारधामों के दर्शन के लिए देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की वेबसाइट www.devasthanam.uk.gov.in पर पंजीकरण अनिवार्य है। जिसके बाद बोर्ड की ओर से ई-पास जारी किया जाता है। शासन के संज्ञान में आया कि पंजीकृत तीर्थ यात्रियों में से प्रतिदिन कम यात्री ही दर्शन करने को पहुंच रहे हैं।
चारधाम यात्रा 2021: रिमझिम बारिश में भी दर्शन को पहुंच रहे तीर्थयात्री, 15 अक्तूबर तक बदरीनाथ यात्रा का स्लॉट फुल
शनिवार को सचिव धर्मस्व हरिचंद्र सेमवाल ने चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों के डीएम को आदेश दिया है कि जो पंजीकृत तीर्थयात्री तय तिथि को चारधाम नहीं पहुंच रहे हैं, उनके स्थान पर अन्य पंजीकृत यात्रियों को चारधामों में दर्शन की अनुमति दें।
15 अक्तूबर तक चारधामों में पंजीकरण फुल
प्रदेश में 18 सितंबर से चारधाम यात्रा का संचालन शुरू हुआ है। अगले माह नवरात्र होने से चारधामों में प्रतिदिन के हिसाब से तय संख्या के सापेक्ष 15 अक्तूबर तक पंजीकरण फुल हो चुका है।
हालांकि, देवस्थानम बोर्ड की ओर से लगातार पंजीकरण किया जा रहा है। यात्रा शुरू होने से अब तक चारधाम में प्रतिदिन तय संख्या के सापेक्ष दर्शन करने वाले यात्रियों की संख्या कम रही।
प्रतिदिन इतने तीर्थ यात्रियों की है अनुमति
धाम प्रतिदिन यात्री संख्या
बदरीनाथ 1000
केदारनाथ 800
गंगोत्री 600
यमुनोत्री 400
कुल 2800
दर्शन के लिए पंजीकरण नहीं करा पाने से तीर्थयात्री निरस्त कर रहे यात्रा
हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार, शासन की ओर से चारधाम यात्रा बेशक शुरू कर दी गई है। लेकिन सरकार शासन की ओर से चारों धाम में तीर्थयात्रियों की संख्या निर्धारित किए जाने की वजह से न सिर्फ तीर्थयात्रियों वरन बस और टैक्सी संचालकों के भी सामने मुसीबत खड़ी हो गई है।
स्थिति यह है कि चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण नहीं होने से दूसरे राज्यों के तीर्थयात्री न सिर्फ ट्रेनों वरन ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून से बुक कराई गई टैक्सी और बसों की भी बुकिंग निरस्त करवा रहे। तीर्थयात्रियों के इस कदम ने चारधाम यात्रा के लिए बस और टैक्सी संचालित करने वाले संचालकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
उत्तराखंड परिवहन महासंघ के अध्यक्ष सुधीर राय का कहना है कि सरकार और शासन की ओर से बदरीनाथ धाम के लिए एक हजार, केदारनाथ धाम के लिए आठ सौ, गंगोत्री के लिए छह सौ और यमुनोत्री धाम के लिए चार सौ तीर्थयात्रियों की संख्या निर्धारित की गई है। चारोंधाम में इतनी कम संख्या निर्धारित किए जाने की वजह से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री बस और टैक्सी की बुकिंग निरस्त करवा चुके हैं।
तीर्थयात्रियों में तमाम ऐसे हैं जो ट्रेनों से हरिद्वार, ऋषिकेश को पहुंच गए, लेकिन चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण नहीं करा पाने की वजह से उन्होंने बसों और टैक्सी की बुकिंग निरस्त करा दी ।
स्थानीय लोगों के लिए समाप्त हो चारधाम यात्रा पंजीकरण
चारधामों के तीर्थ पुरोहितों ने स्थानीय लोगों के लिए यात्रा पंजीकरण अनिवार्यता समाप्त करने की मांग उठाई है। इस संबंध में तीर्थ पुरोहितों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेजा है।
तीर्थ पुरोहित सुरेश सेमवाल, विनोद शुक्ला, पुरुषोत्तम उनियाल, डॉ. बृजेश सती, उमेश सती, अनिरुद्ध उनियालने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के प्रयासों से कोर्ट के आदेश पर चारधाम यात्रा का संचालन शुरू हुआ है।
राज्य के बाहर से आने वाले तीर्थ पुरोहितों के साथ ही प्रदेश के लोगों के लिए चारधाम दर्शन के लिए पंजीकरण कर ई-पास की व्यवस्था लागू की गई है। देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की ओर से यात्रियों को प्रतिदिन के दर्शन के लिए ई-पास जारी किए जा रहे हैं। इससे तीर्थ यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि यात्रा से संचालन से संबंधित देवस्थानम बोर्ड के हस्तक्षेप समाप्त किया जाए। साथ ही यात्रा संचालन का सरलीकरण किया जाए। स्थानीय लोगों को ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था से मुक्त रखा रखा जाए। देश भर में किसी भी मंदिर में यात्रियों की संख्या निर्धारित नहीं की गई है। चारधाम यात्रा में आने वाले यात्रियों की संख्या निर्धारित की गई है। उस व्यवस्था को भी समाप्त करने का प्रयास किए जाए।