13 दिन की कांवड़ यात्रा में 34 की मौत..
261 लोगों को डूबने से बचाया..
उत्तराखंड : कांवड़ मेले में करोड़ों लोगों की भीड़ उमड़ी। गंगा घाटों से लेकर सड़कों पर हर रोज कांवड़ियों का रेला रहा। बाइकों पर फर्राटा भरते, ओवर स्पीड और ओवरलोड कई कांवड़ियों के वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुए।
कांवड़ मेला भले ही सकुशल संपन्न हो गया, लेकिन कई परिवारों को जिंदगी भर न भूलने वाला गम दे गया। मेला अवधि के 13 दिनों में 34 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इनमें कोई सड़क हादसे का शिकार हुआ तो कोई गंगा में स्नान करते वक्त डूब गया। कुछ लोगों ने बीमारी के चलते दम तोड़ा। 261 लोगों को डूबने से भी बचाया गया।
कांवड़ मेले में करोड़ों लोगों की भीड़ उमड़ी। गंगा घाटों से लेकर सड़कों पर हर रोज कांवड़ियों का रेला रहा। बाइकों पर फर्राटा भरते, ओवर स्पीड और ओवरलोड कई कांवड़ियों के वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुए। कई घायलों ने अस्पताल पहुंचने से पहले दम तोड़ दिया। अधिकतर कांवड़ियों की डूबने या फिर उपचार के दौरान मौत हो गई। दो कांवड़ियों की फेफड़ों में इंफेक्शन से मौत हो गई।
जिला अस्पताल में वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डॉ. चंदन मिश्रा के मुताबिक 14 जुलाई से 25 जुलाई तक 34 शवों के पोस्टमार्टम हुए हैं। इनमें सभी शव बाहरी लोगों के थे। इनमें कोई डूबने से कोई सड़क दुर्घटना का शिकार हुआ। कइयों के शव मोर्चरी से बिना पोस्टमार्टम के परिजनों को सौंपे गए। इसके लिए परिजनों ने जिला प्रशासन से अनुमति ली थी। नगर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक राकेंद्र कठैत के मुताबिक कोतवाली क्षेत्र में नौ लोगों के पोस्टमार्टम हुए हैं।
जल पुलिस और बीईजी आर्मी तैराक दलों ने 261 कांवड़ियों को डूबने से भी बचाया। बीईजी आर्मी तैराक दल के नोडल अधिकारी डॉ. नरेश चौधरी ने बताया कि तैराक दल गंगा घाटों पर तैनात रहे। मंगलवार को ही सात लोगों को डूबने से बचाया गया। इनमें जालंधर निवासी अरुण (17), बागपत निवासी मोनू (24), नई दिल्ली निवासी अमन (18), कुरुक्षेत्र निवासी रमन गिरी (20), सहारनपुर निवासी श्याम (22), मुरादाबाद निवासी संतोष (23) और रोहतक निवासी संदीप (18) शामिल हैं। सभी अलग-अलग घाटों पर स्नान कर रहे थे।