कंस्ट्रक्शन कंपनी पर छापा, 5.60 करोड़ रुपए की चोरी पकड़ी गई..
15 महीने में कांट्रेक्टरों ने सरकार को लगाई करोड़ों की चपत..
उत्तराखंड : राज्य कर विभाग (एसजीएसटी) की विशेष अनुसंधान शाखा की दून इकाई ने शुक्रवार को रेस्टकैंप स्थित एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के दफ्तर पर छापा मारा। जांच के दौरान 5.60 करोड़ की कर चोरी पकड़ी गई। राज्यकर की विशेष अनुसंधान शाखा सरकारी विभागों से ठेकेदारों को किए जा रहे भुगतान का सत्यापन कर रही है। इस दौरान पाया गया कि दून इंफ्रास्ट्रक्चर वास्तविक कर से कम जमा करा रही थी। पिछले पांच साल में फर्म को सरकारी विभागों से प्राप्त भुगतान, उन पर देय और वास्तविक रूप से जमा कर में विसंगतियां पाई गईं।
इसके बाद शुक्रवार को सर्च वारंट के आधार पर फर्म के कार्यालय में छापा मारा गया। जांच दल में विशेष अनुसंधान शाखा के उपायुक्त यशपाल सिंह, सहायक आयुक्त जयदीप सिंह रावत और निरीक्षण संगीता बिजल्वाण शामिल थे। फर्म ने कर कम अदा करना स्वीकारते हुए करीब एक करोड़ 62 लाख रुपये का जीएसटी जमा कराई। शेष करीब चार करोड़ की राशि जमा कराने को लेकर कार्रवाई चल रही है।
उपायुक्त यशपाल सिंह ने बताया कि जीएसटी लागू होते समय ठेकेदारों के टीडीएस काटने की व्यवस्था नहीं थी। यह व्यवस्था अक्तूबर 2018 में लागू हुई। इसका फायदा उठाकर कई ठेकेदारों ने 15 महीने की समयावधि में सरकारी विभागों से मिली राशि को उजागर नहीं करते हुए जीएसटी जमा नहीं कराई। ऐसे मामलों की जांच चल रही है। जल्द और भी मामले उजागर किए जाएंगे।
कांट्रेक्टरों ने सरकार को 15 माह में लगाई करोड़ों की चपत..
जीएसटी लागू होने के शुरुआती 15 माह में टीडीएस कटौती की व्यवस्था न होने का ठेकेदारों ने खूब फायदा उठाया। इस समयावधि में सरकारी कर संग्रह को करोड़ों की चपत लगने का अनुमान है। सूत्र बताते हैं कि अगर गहनता से जांच हो तो सैकड़ों ठेकेदार पकड़ में आ सकते हैं। जीएसटी अधिकारियों के मुताबिक, सरकार से अनुबंधित छोटे-बड़े ठेकेदारों के भुगतान पर टीडीएस कटता है।
टीडीएस के डाटा के आधार पर कर विभाग संबंधित फर्म पर जीएसटी का आकलन करता है। इसके अलावा विभाग के पास दूसरा जरिया नहीं है। जुलाई 2017 में जीएसटी लागू हुई, तब शुरुआत में ठेकेदारों के टीडीएस काटने की व्यवस्था नहीं थी। अक्तूबर 2018 यह व्यवस्था लागू हुई, इस बीच 15 महीने में जीएसटी चोरी का खेल चला। सूत्र बताते हैं कि इसमें छोटी से लेकर बड़ी फर्में शामिल हैं।
छोटी फर्मों में ही 10-20 लाख के मामले पकड़ में आ सकते हैं। बड़ी फर्मों में यह राशि करोड़ में पहुंच सकती है। हालांकि, राज्य कर की टीम जांच कर रही है। शुक्रवार को दून में हुई कार्रवाई भी इसी जांच का हिस्सा है। इतना ही नहीं, कई कारोबारी व्यक्तिगत उपयोग के लिए खरीदे सामान जैसे कार आदि पर भी टैक्स को आईटीसी के रूप में ले रहे हैं। ऐसे मामलों की भी जांच चल रही है। दूसरी ओर, उपायुक्त यशपाल सिंह ने बताया कि वास्तविक से कम कर जमा करने वाली फर्मों की जांच चल रही है।