धाम पहुंचते ही यात्री मिटा सकेंगे थकान..
बॉडी और फुट मसाज से मिलेगा आराम जानिए पूरी कहानी ..
उत्तराखंड : यमुनोत्री धाम पहुंचने के लिए करीब पांच किलोमीटर की पैदल चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। केदारनाथ में भी तीर्थयात्री पैदल मार्गों से पहुंचते हैं। ऐसे में यात्रियों को थकावट हो जाती है। अब यात्री धाम पहुंचने पर अपनी थकान मिटा सकते हैं।
चारधाम यात्रा में केदारनाथ और यमुनोत्री धाम की पैदल यात्रा करने वाले यात्रियों की बॉडी और फुट मसाज थेरेपी से थकान दूर होगी। इसके लिए पर्यटन विभाग ने केदारनाथ व यमुनोत्री की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बॉडी मसाज मशीनें लगाई है।
मशीन से बॉडी मसाज करने के 15 मिनट का 250 रुपये और फुट मसाज के 100 से 150 रुपये रेट तय किए गए हैं। यमुनोत्री पैदल मार्ग के रास्ते में जानकीचट्टी और केदारनाथ और सोनप्रयाग में इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। जहां यात्री फुट और बॉडी मसाज करा सकते हैं। यमुनोत्री धाम पहुंचने के लिए करीब पांच किलोमीटर की पैदल चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। ऐसे में यात्रियों को थकावट हो जाती है।
थकावट को दूर करने के लिए जानकीचट्टी में बॉडी और फुट मसाज की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। फिलहाल यहां तीन मशीनें लगाई गई हैं। जहां यात्री फुट एवं बॉडी मसाज का लुत्फ उठा रहे हैं। इस व्यवस्था से जहां यात्रियों की थकान मिट रही है वहीं स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है।
हाट बाजार के पास लगाई गई दो मशीन..
जिला पर्यटन विकास अधिकारी राहुल चौबे के मुताबिक बड़ी संख्या में तीर्थयात्री इस सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। इसी तरह से केदारनाथ और सोनप्रयाग में भी मसाज के लिए मशीनें लगाई गई हैं। केदारनाथ में हाट बाजार के पास दो मशीनें लगाई गई हैं जबकि सोनप्रयाग के बाजार में दो मशीनें लगी हैं। बॉडी मसाज मशीन का तीर्थयात्रियों से 15 मिनट का 250 रुपये और फुट थेरेपी का 100 से 150 रुपये लिए जा रहे हैं।
युवाओं को मिला रोजगार..
फुट और बॉडी मसाज की सुविधा पहली बार उत्तराखंड आ रहे तीर्थयात्रियों को मिल रही है। इससे पहले वैष्णो देवी में इस तरह की सुविधा उपलब्ध थी। पर्यटन विभाग की पहल के बाद राज्य में मिल रही इस सुविधा का लाभ जहां यात्री उठा रहे हैं। वहीं स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है। मशीनों से फुट और बॉडी मसाज के अलावा फुट थेरेपी का प्रशिक्षण भी युवाओं को दिया गया है। जहां श्रद्धालु फुट थेरेपी का भी लुत्फ उठा रहे हैं। इस काम के लिए युवाओं को प्रशिक्षित भी किया गया। प्रशिक्षित युवाओं को जहां रोजगार मिल रहा है वहीं श्रद्धालुओं की समस्या का समाधान भी हो रहा है।